अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट
बलरामपुर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ नेपाल सीमा से सटे संवेदनशील जिलों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध रूप से आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। पुलिस ने इस गिरोह के 11 सदस्यों को गिरफ्तार किया है और बड़ी संख्या में लैपटॉप, प्रिंटर, स्कैनर और अन्य उपकरण बरामद किए हैं।
गिरोह का नेटवर्क और तरीका
यह गिरोह फर्जी जन्म प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों के माध्यम से लोगों के आधार कार्ड बनाने और पुराने आधार कार्डों में अवैध रूप से बदलाव करने का कार्य करता था। खास बात यह थी कि गिरोह के सदस्य तकनीकी रूप से दक्ष थे और उन्होंने इस धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए पूरा सिस्टम तैयार कर रखा था। वे सिलिकॉन फिंगर इंप्रेशन और आईरिस स्कैनर का उपयोग कर अपने सिस्टम पर ऑपरेटर की आईडी से लॉगिन कर लेते थे। इसके बाद वे आधार कार्ड बनाने और अपडेशन का कार्य कर सकते थे।
अगर उन्हें किसी तकनीकी परेशानी का सामना करना पड़ता, तो वे एनी डेस्क सॉफ्टवेयर के माध्यम से अपने सिस्टम को एक्सपर्ट से कनेक्ट कर लेते थे और उनके निर्देशों के अनुसार कार्य को अंजाम देते थे। इस पूरे नेटवर्क में “नेटिव” नामक एक एप्लिकेशन का भी इस्तेमाल किया जाता था, जिसकी मदद से आधार अपडेशन और क्रिएशन की वेबसाइट को एक्सेस किया जाता था।
शिक्षामित्र और सरकारी पासवर्ड का दुरुपयोग
गिरोह के सदस्यों में महेंद्र मिश्र, जो कि सिद्धार्थनगर जिले में शिक्षामित्र था, भी शामिल है। उसे बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल के बच्चों का आधार बनाने के लिए आईडी और पासवर्ड प्रदान किया गया था, लेकिन उसने इस अधिकार का दुरुपयोग कर इसे फर्जी प्रमाणपत्र के माध्यम से आधार कार्ड बनाने में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। महेंद्र मिश्र के साथ गिरजेश चौधरी भी इस काम में उसका सहयोगी था।
तीन अलग-अलग मामलों में मुकदमे दर्ज
इस पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तीन अलग-अलग मामलों में मुकदमे दर्ज किए हैं। हरैया सतघरवा थाने के प्रभारी निरीक्षक अभिषेक सिंह ने इन मुकदमों के आधार पर 11 लोगों को गिरफ्तार किया।
पहले मामले में गिरफ्तार आरोपी
1. सिद्धार्थ सरोज
2. मिथुन तिवारी
3. रमेश तिवारी
4. गिरजेश चौधरी (सिद्धार्थनगर)
5. महेंद्र मिश्र (सिद्धार्थनगर)
दूसरे मामले में गिरफ्तार आरोपी:
6. दिनेश पाठक
7. प्रदीप पाठक (बलरामपुर)
8. संतोष गुप्ता (सिद्धार्थनगर)
9. सुनील यादव (सिद्धार्थनगर)
तीसरे मामले में गिरफ्तार आरोपी:
10. गुलरिहा हिसामपुर (हरैया)
11. विनोद गिरि (सिद्धार्थनगर)
एसपी विकास कुमार ने बताया कि आधार प्राधिकरण से विवरण मांगा गया है, जिसके बाद इस गिरोह में शामिल अन्य लोगों की भी गिरफ्तारी की जाएगी।
बिना अनुमति चल रहे थे जनसेवा केंद्र
इस अवैध गतिविधि को अंजाम देने के लिए गिरोह ने कई फर्जी जनसेवा केंद्र स्थापित कर रखे थे। इनमें शामिल थे
अरुण ऑनलाइन सर्विस सेंटर (हरैया सतघरवा, पांडेय का पुरवा)
पाठक जनसेवा केंद्र (ग्राम भड़सहिया)
हिसामपुर ऑनलाइन सेंटर (ग्राम गुलरिहा)
इन जनसेवा केंद्रों को प्रशासन से कोई वैध अनुमति नहीं मिली थी, लेकिन फिर भी इनका संचालन जारी था। नेटिव एप्लिकेशन के माध्यम से वे फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर रहे थे और आधार कार्ड बनाने का काम कर रहे थे।
गिरोह के पास से बरामद सामग्रियाँ
पुलिस ने इस गिरोह के पास से भारी मात्रा में डिजिटल उपकरण और जाली दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
14 लैपटॉप, 09 प्रिंटर, फिंगरप्रिंट स्कैनर, डमी फिंगरप्रिंट सेट, वेबकैम और आईडी स्कैनर, लेमिनेशन मशीन
इसके अलावा, पुलिस को कई फर्जी आधार कार्ड भी मिले, जिनमें हीरालाल, छोटकउ, दुखराम, सहाबुद्दीन, मालिकराम, कल्लू, अनिल कुमार, दिलीप कुमार, आसमीन, मतई उर्फ धर्मराज, भारत लाल, मो. नसीम, अनीस जैसे नामों के दस्तावेज शामिल हैं। गिरोह के पास से आधार अपडेशन के 11 आवेदन पत्र और 15 आधार कार्ड आवेदन पत्र भी बरामद हुए हैं।
नेपाल के नागरिकों को भी बना रहे थे भारतीय आधार कार्ड?
गिरोह की इस गतिविधि का एक और गंभीर पहलू यह है कि इनके पास ऐसे संसाधन थे, जिनसे वे किसी का भी आधार कार्ड बना सकते थे। एसपी विकास कुमार के अनुसार, इस बात की आशंका जताई जा रही है कि आरोपियों ने नेपाल के नागरिकों के भी आधार कार्ड बनाए हैं। यह एक बहुत बड़ी सुरक्षा चूक हो सकती है, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है।
गिरोह के सदस्य फर्जीवाड़ा करने के लिए डमी फिंगरप्रिंट का उपयोग करते थे, जिससे वे किसी भी ऑपरेटर की आईडी का प्रयोग कर लॉगिन कर सकते थे। यह तकनीक आधार प्रणाली की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है।
पुलिस की आगे की कार्रवाई
एसपी ने बताया कि इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है और अन्य राज्यों में भी इस गिरोह से जुड़े संदिग्ध लोगों को ट्रैक किया जा रहा है। आधार प्राधिकरण से विस्तृत जानकारी मिलने के बाद अन्य आरोपियों की भी गिरफ्तारी की जाएगी। पुलिस का मानना है कि यह गिरोह लंबे समय से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहा था और कई राज्यों में इसका नेटवर्क फैला हुआ हो सकता है।
बलरामपुर में आधार कार्ड बनाने के इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा बेहद चौंकाने वाला है। इस गिरोह के सदस्य अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर अवैध रूप से आधार कार्ड बना रहे थे, जो देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। पुलिस ने इस मामले में 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच जारी है।
इस घटना से यह स्पष्ट हो जाता है कि सरकारी आईडी और पासवर्ड का गलत इस्तेमाल कितना घातक साबित हो सकता है और डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की