धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में गौशालाओं की स्थिति बदहाल होती जा रही है। गौवंशों के संरक्षण के लिए बनाई गई व्यवस्थाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। प्रशासनिक उदासीनता और लापरवाही के चलते गौशालाओं में बेजुबान गौवंशों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। आए दिन गौ रक्षा समितियां जिले की गौशालाओं में व्याप्त अव्यवस्थाओं को उजागर कर रही हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इसे अनदेखा कर रहे हैं।
गौशालाओं की जमीनी हकीकत
बांदा जिले के महुआ ब्लॉक में स्थित महुटा और तेरा बी गौशाला की स्थिति अत्यंत दयनीय है। मंगलवार को विश्व हिंदू महासंघ के जिला प्रवक्ता उमेश तिवारी ने इन गौशालाओं का निरीक्षण किया, जहां स्थिति बेहद चिंताजनक पाई गई। गौवंशों के लिए उचित चारे और देखभाल का कोई प्रबंध नहीं था। उन्हें सिर्फ सूखी पराली खिलाई जा रही थी, जो किसानों द्वारा मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही है। यह भोजन पोषण से पूरी तरह वंचित है और गौवंशों के लिए हानिकारक भी हो सकता है।
महुटा गौशाला की स्थिति तो और भी भयावह है। वहां गंदगी का अंबार लगा हुआ था, जिससे स्पष्ट होता है कि महीनों से साफ-सफाई नहीं हुई। पानी की चरही में काई जमी हुई थी, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। सबसे गंभीर बात यह थी कि मृत गौवंशों को खुले में फेंक दिया गया था, जिन्हें कुत्ते और अन्य जानवर खा रहे थे। यह दृश्य बेहद पीड़ादायक और अमानवीय था।
गौ संरक्षण नीति की विफलता
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गौवंशों के संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी गौ संरक्षण को लेकर कई सख्त निर्देश जारी किए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। गौशालाओं में व्याप्त अव्यवस्थाएं, भ्रष्टाचार और लापरवाही सरकार की गौ संरक्षण नीति की पूर्ण विफलता को दर्शाती हैं।
जिला प्रवक्ता उमेश तिवारी ने यह भी बताया कि गौशाला में दैनिक रजिस्टर और स्टॉक की जानकारी तक उपलब्ध नहीं थी। जब इस बारे में गौशाला सचिव रितिक से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि रजिस्टर उनके पास है, लेकिन गौशाला में उसे रखा नहीं जाता। यह गंभीर अनियमितता है, जिससे साफ जाहिर होता है कि सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। प्रधान और सचिव मिलकर सरकारी अनुदान का बंदरबांट कर रहे हैं, जिससे गौवंशों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है।
प्रशासन की उदासीनता और कार्रवाई की मांग
इस पूरे मामले में प्रशासन की अनदेखी और भ्रष्टाचार की बू साफ महसूस की जा सकती है। गौशालाओं की दुर्दशा यह साबित करती है कि जिम्मेदार अधिकारी इन मुद्दों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है, और बेजुबान गौवंश भूख, गंदगी और बीमारी से मरने को मजबूर हैं।
इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन को तुरंत कठोर कदम उठाने की जरूरत है। गौशाला संचालकों, सचिवों और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। साथ ही, गौशालाओं में गौवंशों के लिए चारे, पानी और सफाई की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
हमें उम्मीद है कि प्रशासन इस गंभीर मामले पर जल्द से जल्द ध्यान देगा और गौवंशों के जीवन को बचाने के लिए उचित कदम उठाएगा। यदि ऐसा नहीं होता, तो यह सरकार की नीतियों और प्रशासन की पूर्ण विफलता को दर्शाएगा।
Author: मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की