धर्मेन्द्र कुमार की रिपोर्ट
नरैनी(बांदा)। जिले की पुकारी ग्राम पंचायत में स्थित गौशाला में 152 गौवंशों की संदिग्ध गड़बड़ी का मामला लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मुद्दे को लेकर प्रशासन पिछले 15 दिनों से जांच कर रहा है, लेकिन अब तक कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला है। स्थानीय लोगों और गौ रक्षा संगठनों का आरोप है कि प्रशासन इस मामले में लीपापोती कर रहा है और सच्चाई को छिपाने की कोशिश की जा रही है।
रातों-रात गौवंशों की वापसी: जांच को प्रभावित करने का प्रयास?
गौशाला में रहस्यमय ढंग से लापता हुए 152 गौवंशों की गिनती पूरी दिखाने के लिए 31 जनवरी की रात में करीब 50 गौवंशों को बाहरी क्षेत्रों से लाकर गौशाला में कैद कर दिया गया। इस संदिग्ध गतिविधि का स्थानीय लोगों ने वीडियो भी बनाया, जो बाद में विश्व हिंदू महासंघ गौ रक्षा समिति के तहसील अध्यक्ष सोनू करवरिया तक पहुंचा।
इस वीडियो के सामने आने के बाद सोनू करवरिया ने तुरंत नरैनी के उपजिलाधिकारी सत्य प्रकाश और पशु चिकित्सक डॉ. विजय कुमार कमल को सूचित किया। प्रशासन को जानकारी देने के बावजूद 1 फरवरी को जब नायब तहसीलदार यशपाल और पशु चिकित्सक डॉ. अभिषेक करतल निरीक्षण के लिए गौशाला पहुंचे, तो वहां गेट नहीं खोला गया।
गौशाला का गेट बंद, ग्राम प्रधान की दबंगई?
गौशाला में अधिकारियों की उपस्थिति के बावजूद कर्मचारियों ने लगभग आधे घंटे तक गेट नहीं खोला। जब इस बात की सूचना जिलाधिकारी बांदा और उपजिलाधिकारी नरैनी को दी गई, तब भी ताला नहीं खोला गया। आखिरकार, जब ग्राम प्रधान विजय मिश्रा नरैनी से पहुंचे, तो कर्मचारियों ने भीतर से चाबी मंगाकर गेट खोला और फिर से ताला बंद कर दिया।
इस दौरान सोनू करवरिया को गौशाला के अंदर जाने से रोका गया। काफी बहस के बाद, नायब तहसीलदार के हस्तक्षेप पर उन्हें अंदर जाने दिया गया। जब 31 जनवरी के वीडियो को व्यापक रूप से साझा किया गया, तब मजबूरी में ग्राम प्रधान ने 45 गौवंशों की संरक्षण की बात स्वीकार की।
पुराने मामलों को दबाने की कोशिश?
यह पहली बार नहीं है जब इस तरह से लापता गौवंशों को बाद में लाकर संख्या पूरी करने का प्रयास किया गया हो। स्थानीय लोगों और गौ रक्षा समिति के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि प्रशासन और ग्राम प्रधान की मिलीभगत से बार-बार इस तरह की हेराफेरी की जा रही है।
अब सवाल यह उठता है कि 152 लापता गौवंश आखिर कहां गए? प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगा या इसे भी पुराने मामलों की तरह दबा दिया जाएगा? गौशाला में रह रहे बेजुबान गौवंशों के साथ हो रहे अत्याचार पर कब तक आंखें मूंदी जाएंगी?
आखिर इन्हें न्याय कब मिलेगा? यह एक गंभीर और चिंतनीय विषय बन चुका है।