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2 February 2025 2:14 am

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ये 7 युवक, बस पुलिस में भर्ती होने ही वाले थे कि असलियत सामने आ गई, सबकी फटी रह गई आंखें

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के कासगंज जनपद में पुलिस भर्ती से जुड़ा एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां सात युवकों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित होने का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर पुलिस की नौकरी हासिल करने की कोशिश की। हालांकि, गहन जांच के दौरान इनकी साजिश का पर्दाफाश हो गया, और पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि तीन अभी भी फरार हैं।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

बीते साल 21 नवंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था। इसमें कई अभ्यर्थियों ने सफलता हासिल की थी, जिनमें ये सात युवक भी शामिल थे। परीक्षा पास करने के बाद उन्हें बस मेडिकल और फिजिकल टेस्ट से गुजरना था, जिसके बाद उनकी भर्ती लगभग तय थी।

लेकिन कासगंज पुलिस लाइन में दस्तावेज़ सत्यापन (DV) और शारीरिक मानक परीक्षण (PST) के दौरान इन अभ्यर्थियों की हकीकत सामने आ गई। इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित होने का झूठा प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर आरक्षण का लाभ उठाने की कोशिश की थी। जांच में प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए, जिसके बाद पुलिस ने इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की।

पुलिस ने चार को दबोचा, तीन अभी भी फरार

इस गंभीर मामले को देखते हुए पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा ने तुरंत जांच के आदेश दिए। क्षेत्राधिकारी नगर आंचल चौहान के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई, जिसने गहन पड़ताल के बाद चार युवकों को गिरफ्तार कर लिया। इनकी गिरफ्तारी कासगंज-बदायूं रोड स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास से की गई। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम इस प्रकार हैं:

1. रवेंद्र कुमार पुत्र चिरंजी लाल, निवासी ग्राम ग्वालरा, थाना गभाना, जनपद अलीगढ़

2. हरीप्रकाश पुत्र भोला शंकर शर्मा, निवासी ग्राम मजूपुर सुबकरा, थाना गौंडा, जनपद अलीगढ़

3. सौरभ सिंह पुत्र रमेश कुमार, निवासी ग्राम भमरौला, थाना खैर, जनपद अलीगढ़

4. अर्पित कुमार पुत्र होशियार सिंह, निवासी ग्राम जलालपुर, थाना पिसावा, जनपद अलीगढ़

इन चारों पर मामला दर्ज कर लिया गया है और पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। वहीं, तीन अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं, जिनकी तलाश में पुलिस दबिश दे रही है।

कई धाराओं में मुकदमा दर्ज

पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2) के साथ ही उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम की धारा 13 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही फरार आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

फर्जीवाड़े का नेटवर्क भी खंगाल रही पुलिस

इस घटना के बाद पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इन युवकों को फर्जी प्रमाण पत्र कैसे मिले और इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह तो नहीं है। यह आशंका जताई जा रही है कि कई अन्य भर्तियों में भी इस तरह के फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है।

कासगंज में हुआ यह फर्जीवाड़ा पुलिस भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। अगर यह फर्जीवाड़ा पकड़ा न जाता, तो ये युवक पुलिस में भर्ती होकर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी संभालते, जबकि खुद कानून तोड़ने में माहिर निकले। यह घटना पुलिस विभाग के लिए एक बड़ा सबक भी है, जिससे भविष्य में भर्ती प्रक्रिया को और अधिक सख्त और निष्पक्ष बनाया जा सके।

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