ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
आगरा के परिवार परामर्श केंद्र में रविवार को एक अनोखा और विवादास्पद मामला सामने आया, जिसने सभी को हैरानी में डाल दिया। एक विधवा बहू ने अपने सास-ससुर पर संपत्ति में हिस्सा न देने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, उसका दावा है कि उसके सास-ससुर ने 58 वर्ष की उम्र में एक संतान को जन्म दिया है, ताकि वे उसे अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी बना सकें और बहू को अधिकारों से वंचित कर सकें। इस विवाद के चलते परिवार परामर्श केंद्र में घंटों तक चर्चा हुई, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका, जिसके कारण मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी गई।
पति की मृत्यु के बाद संपत्ति के लिए संघर्ष
यह मामला आगरा के सैंया क्षेत्र की एक युवती से जुड़ा है, जिसकी शादी चार साल पहले कमला नगर में हुई थी। उसके पति का एक जिम था और वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। विवाह के दो साल बाद ही दुर्भाग्यवश हृदय गति रुकने से पति की मृत्यु हो गई। इस हादसे के बाद से ही महिला अपने मायके में रह रही थी।
पति के निधन के बाद जब उसने अपने सास-ससुर से संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग की, तो उन्होंने इसे ठुकरा दिया। महिला का कहना है कि सास-ससुर उसे अपनी संपत्ति से बेदखल करने की कोशिश कर रहे हैं और इसी उद्देश्य से उन्होंने 58 साल की उम्र में संतान को जन्म दिया है।
सास के मातृत्व पर बहू की आपत्ति
बहू ने अपनी शिकायत में दावा किया है कि उसकी सास ने 58 साल की उम्र में एक बालक को जन्म दिया है, जिससे उसके लिए नए वारिस के रूप में जगह बनाई जा सके और उसे संपत्ति से पूरी तरह बेदखल किया जा सके। बहू का कहना है कि यह सब जानबूझकर किया गया षड्यंत्र है, ताकि उसे कानूनी रूप से कोई अधिकार न मिल सके।
इस मामले को लेकर परिवार परामर्श केंद्र में भी गर्मागर्म बहस हुई, जहां बहू ने साफ कहा कि उसे अपने पति की संपत्ति में उचित हिस्सा मिलना चाहिए।
ससुर का पक्ष: गांव में रहने की पेशकश
वहीं, सास-ससुर का इस मामले पर अलग ही तर्क है। उन्होंने कहा कि उनकी बहू को गांव में स्थित पैतृक संपत्ति में रहने के लिए कहा गया था, लेकिन वह वहां जाने को तैयार नहीं है। ससुर का कहना है कि बहू को गांव में रहने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि वहां उनकी पैतृक जायदाद है।
हालांकि, बहू का कहना है कि गांव में रहने की बात तब उचित होती जब वहां कोई पक्का मकान होता। फिलहाल, वहां केवल जमीन है और कोई रहने योग्य घर नहीं बना है। बहू ने स्पष्ट कहा कि यदि सास-ससुर गांव में पक्का मकान बनवा दें, तो वह वहां रहने को तैयार है।
समझौता नहीं, अगली तारीख तय
दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी। बहू अपने हिस्से की मांग पर अड़ी हुई है, वहीं सास-ससुर अपने नवजात संतान के नाम पर पूरी संपत्ति करने की योजना बना रहे हैं। परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी नीलम राना का कहना है कि यह पूरी तरह से पारिवारिक मामला है, इसलिए इस पर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। फिलहाल, दोनों पक्षों को अगली सुनवाई के लिए तारीख दे दी गई है, जिसमें फिर से सुलह की कोशिश की जाएगी।
मामले से उठे कई सवाल
इस विवाद से कई कानूनी और सामाजिक सवाल खड़े हो गए हैं
1. क्या बहू को अपने पति की संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए?
2. 58 साल की उम्र में संतान जन्म देने की घटना को किस नजरिए से देखा जाए?
3. क्या यह सच में एक षड्यंत्र है, या फिर महज संयोग?
फिलहाल, इस विवाद का हल अगली सुनवाई में निकल पाएगा या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।