अनिल अनूप
भारत एक ऐसा देश है जहां धर्म और संस्कृति समाज के केंद्र में स्थित हैं। यहां की बहुसंख्यक आबादी सनातन धर्म को मानती है, जिसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है। यह धर्म न केवल धार्मिक परंपराओं बल्कि जीवन जीने के मार्गदर्शन का भी एक माध्यम है। वर्तमान समय में, जब वैश्वीकरण, राजनीतिकरण और विभिन्न सामाजिक समस्याओं ने धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को प्रभावित किया है, ऐसे में सनातन धर्म की धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए “सनातन बोर्ड” की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
सनातन धर्म की समृद्ध विरासत
सनातन धर्म दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। यह वेदों, उपनिषदों, गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों जैसे ग्रंथों पर आधारित है। यह धर्म “वसुधैव कुटुंबकम्” के विचार को बढ़ावा देता है, जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। यह धर्म सह-अस्तित्व, करुणा, दया, सत्य और अहिंसा जैसे मूल्यों का प्रचार करता है।
लेकिन आधुनिकता और उपभोक्तावाद की दौड़ में, सनातन धर्म की कई परंपराएं और संस्कार लुप्त हो रहे हैं। आज के युवा इन परंपराओं से अनभिज्ञ होते जा रहे हैं। शिक्षा प्रणाली में भी धर्म और संस्कृति से संबंधित ज्ञान को अनदेखा किया जा रहा है। ऐसे में एक “सनातन बोर्ड” की स्थापना की जरूरत है जो इन मूल्यों और परंपराओं को पुनर्जीवित कर सके।
सनातन बोर्ड की आवश्यकता
1. धार्मिक पहचान और संरक्षा
आज के समय में धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर कई बार विवाद खड़ा होता है। सनातन धर्म से जुड़े मंदिर, गुरुकुल, और धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए एक सशक्त संस्था की आवश्यकता है। सनातन बोर्ड यह सुनिश्चित कर सकता है कि हमारी धार्मिक धरोहर सुरक्षित रहे।
2. शिक्षा और जागरूकता
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म से जुड़ी शिक्षा को अनदेखा किया गया है। सनातन बोर्ड गुरुकुल पद्धति को पुनर्जीवित कर सकता है, और धार्मिक ग्रंथों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए पाठ्यक्रम तैयार कर सकता है।
3. समाज में समरसता
सनातन धर्म सह-अस्तित्व और भाईचारे को बढ़ावा देता है। लेकिन विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक कारणों से समाज में विभाजन की स्थिति बनती है। सनातन बोर्ड धर्म के असली उद्देश्यों और मूल्यों का प्रचार-प्रसार कर समाज में एकता स्थापित करने का काम कर सकता है।
4. धर्मनिरपेक्षता और धर्म का संतुलन
भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में सभी धर्मों का सम्मान आवश्यक है। लेकिन यह भी उतना ही जरूरी है कि बहुसंख्यक धर्म की परंपराएं और मान्यताएं संरक्षित रहें। सनातन बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि धार्मिक अधिकारों का सम्मान हो और किसी भी समुदाय की परंपराओं को हानि न पहुंचे।
5. आर्थिक और प्रशासनिक सहयोग
मंदिरों की संपत्ति और उनके संचालन से जुड़ी कई समस्याएं आज भी मौजूद हैं। सनातन बोर्ड मंदिरों की आय का सही उपयोग सुनिश्चित कर सकता है और उसे समाज कल्याण के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
सनातन बोर्ड के संभावित कार्य
सनातन बोर्ड की स्थापना केवल एक संगठन के रूप में नहीं बल्कि एक व्यापक संरचना के रूप में होनी चाहिए, जो कई मोर्चों पर कार्य करे।
1. धार्मिक स्थलों का प्रबंधन
मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों का उचित प्रबंधन करना, उनके आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखना।
2. धर्माचार्यों और विद्वानों का सहयोग
धर्मगुरुओं और विद्वानों को मंच प्रदान करना, ताकि वे सनातन धर्म के गूढ़ संदेश को आम जनता तक पहुंचा सकें।
3. शिक्षा संस्थानों की स्थापना
धर्म, संस्कृत, योग और वेदांत की शिक्षा देने के लिए संस्थानों की स्थापना करना।
4. सामाजिक और पर्यावरणीय पहल
सनातन धर्म के सिद्धांतों के आधार पर पर्यावरण संरक्षण, गौ-संरक्षण, और समाज कल्याण से जुड़े कार्यक्रम चलाना।
5. डिजिटल युग में प्रचार
इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से सनातन धर्म की मान्यताओं और परंपराओं का प्रचार-प्रसार करना।
आधुनिक युग में चुनौतियां
सनातन धर्म को संरक्षित करने के प्रयास में कई चुनौतियां भी हैं। बढ़ती भौतिकवादी सोच, धार्मिक कट्टरता, और सांस्कृतिक असंवेदनशीलता के कारण कई बार सनातन धर्म को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। इसके अलावा, राजनीतिक हस्तक्षेप और व्यावसायीकरण भी इस प्रक्रिया को जटिल बनाते हैं।
सनातन बोर्ड की स्थापना केवल धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए नहीं बल्कि एक समग्र दृष्टिकोण के तहत समाज के हर वर्ग को जोड़ने के लिए आवश्यक है। यह बोर्ड न केवल धर्म और संस्कृति को संरक्षित करेगा, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी पुनर्जीवित करेगा। भारत की आत्मा उसके सनातन धर्म में बसती है, और इसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। सनातन बोर्ड इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
यदि सही तरीके से इस विचार को लागू किया जाए, तो यह भारत को उसकी जड़ों से जोड़ते हुए एक समृद्ध और संतुलित समाज का निर्माण करने में सहायक हो सकता है।

Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की
1 thought on “सनातन धर्म की धरोहर को सहेजने की पहल: सनातन बोर्ड की आवश्यकता और महत्व”
बहुत ही सारगर्भित रचना रची है संपादक जी ने. अनूप साहिब एक उच्चकोटि के शब्दकर्मी हैं. जो ढांचा, चाहे वो सामाजिक, धार्मिक या फिर परिवारिक ही क्यों न हो, जितना पुराना होता है, समय समय पर रिपेयर मांगता है. हमारा संनातनी ढांचा भी बहुत पुराना है. तभी तो सनातन कहलाता है. दुःखद यह है कि इसे सुधारा नहीं जा रहा. काफी त्रुटियां आ रही हैं. लेख के लिए धन्यवाद.