रंजन झा की रिपोर्ट
पटना में जातीय तनाव और प्रेम-त्रिकोण का एक दर्दनाक अध्याय तब सामने आया जब लखीसराय जिले में एक प्रेम प्रसंग ने तीन लोगों की जान ले ली। इस मामले ने पूरे बिहार को झकझोर कर रख दिया है। मामला एक ब्राह्मण लड़की दुर्गा झा और पासी समुदाय के लड़के आशीष चौधरी उर्फ छोटू के प्रेम प्रसंग और शादी से जुड़ा है, जो बाद में एक त्रासदी में बदल गया।
जाति और प्रेम की दीवारें
दुर्गा और आशीष के बीच प्रेम तो जातीय बंधनों से परे था, लेकिन दुर्गा के परिवार के लिए यह रिश्ता अस्वीकार्य था। दोनों ने समाज के बंधनों को तोड़ते हुए शादी कर ली। शुरुआत में सब ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे यह प्रेम कहानी एक भयानक मोड़ पर पहुंच गई। दुर्गा का झुकाव किसी और की तरफ होने और परिवार के दुर्गा के इस नए फैसले को समर्थन देने से आशीष आक्रोशित हो गया। यही आक्रोश इस त्रासदी का कारण बना।
मर्डर से पहले आशीष की चिट्ठी
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आशीष ने हत्या से पहले एक 15 पन्नों की लंबी चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी में उसने अपनी मानसिक स्थिति, दुर्गा से अपने प्रेम और टूटन का विस्तार से जिक्र किया। उसने लिखा, “जो कुछ भी हुआ है या होगा, उसका जिम्मेदार मैं हूं।” उसने यह भी बताया कि उसने तीर्थ यात्रा कर अपनी मनःस्थिति को स्थिर करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहा। अंत में उसने लिखा, “अब तांडव होगा।”
टूटे दिल और बर्बाद सपने
आशीष ने चिट्ठी में अपनी जिंदगी की दुर्दशा का विवरण देते हुए कहा कि उसके जीवन में अब कुछ नहीं बचा है। उसने अपनी मां को खो दिया, जो उसके जीवन का आधार थीं। उसने अपनी पत्नी को “जीवन नरक बनाने वाला” कहा और लिखा कि उसने दुर्गा के लिए अपनी जमीन तक बेच दी। चिट्ठी में उसने बताया कि दुर्गा के साथ शादी करने के बाद उसे पता चला कि दुर्गा का किसी और से पहले भी रिश्ता था। बाद में, दुर्गा का किसी तीसरे व्यक्ति के साथ जुड़ना और उसके साथ सार्वजनिक रूप से दुर्व्यवहार करना, आशीष के लिए असहनीय हो गया।
हत्या और पुलिस की जांच
हत्या के दौरान आशीष ने दुर्गा और उसके दो भाइयों की 9 एमएम पिस्टल से गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने हत्याकांड में शामिल आशीष के सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ कर रही है। हालांकि, मुख्य आरोपी आशीष अभी तक फरार है। पुलिस ने मीडिया को उसकी लिखी हुई चिट्ठी भी दिखाई, जिसमें उसने इस हत्याकांड की वजहों का खुलासा किया है।
समाज के लिए सवाल
यह मामला न केवल जातीय भेदभाव और सामाजिक बंधनों की कठोरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि असफल प्रेम, सामाजिक दबाव और व्यक्तिगत कुंठा कैसे एक भयानक अपराध में बदल सकती है। अब सवाल यह है कि क्या समाज ऐसे मामलों से कुछ सीख पाएगा, जहां जाति और परंपरा प्रेम और रिश्तों पर हावी हो जाती है।