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29 January 2025 11:32 am

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विविधता और संघर्षशीलता ; भारत का ऐसा राज्य जो कभी अंग्रेजों का गुलाम नहीं बना: जानते हैं आप? 

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

भारत का 76वां गणतंत्र दिवस पूरे देश में उत्साह और गर्व के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन हमें भारत के समृद्ध इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और उन असंख्य बलिदानों की याद दिलाता है, जिन्होंने हमें स्वतंत्रता दिलाई। भारत अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपदा के कारण हमेशा से विश्व का आकर्षण केंद्र रहा है। यही कारण है कि अंग्रेजों सहित कई विदेशी ताकतों ने यहां पर शासन करने का प्रयास किया। हालांकि, इतिहास के पन्नों में एक ऐसी भी कहानी दर्ज है, जो यह बताती है कि भारत का एक राज्य ऐसा भी था, जो अंग्रेजों की गुलामी से पूरी तरह मुक्त रहा। यह राज्य है गोवा, जो कभी अंग्रेजों के अधीन नहीं आया।

अंग्रेजों का भारत में प्रवेश और शासन

अंग्रेजों ने 24 अगस्त 1608 को पहली बार भारत की धरती पर कदम रखा। वे व्यापार के उद्देश्य से सूरत आए थे। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए अपने पैर पसारने शुरू किए। 1615 में थॉमस रो को मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में राजदूत बनाकर भेजा गया, जिसके बाद अंग्रेजों को भारत में व्यापार करने की अनुमति मिली। इसके बाद उन्होंने कूटनीति, धोखे और सैन्य शक्ति का इस्तेमाल कर भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया।

लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया और भारतीयों को गुलाम बना लिया। उन्होंने यहां के संसाधनों का जमकर शोषण किया और भारत को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया। लेकिन इस दौरान, गोवा ऐसा राज्य था, जो अंग्रेजों के अधीन कभी नहीं आया।

गोवा: पुर्तगालियों का प्रभाव और अंग्रेजों का संघर्ष

गोवा में अंग्रेजों के शासन न होने का कारण पुर्तगालियों की उपस्थिति थी। 1498 में वास्को डा गामा भारत के कालीकट तट पर पहुंचे और इसके बाद पुर्तगालियों ने भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 1510 में पुर्तगालियों ने गोवा पर कब्जा कर लिया और इसे अपने व्यापार और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बना लिया।

पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 वर्षों तक शासन किया। इस दौरान, अंग्रेजों ने कई बार गोवा पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन पुर्तगालियों के मजबूत सैन्य और राजनीतिक प्रभाव के कारण वे सफल नहीं हो सके। गोवा पुर्तगालियों का प्रमुख केंद्र था, और अंग्रेजों की ताकत भी इस क्षेत्र में कमजोर पड़ गई।

पुर्तगाली भारत में सबसे पहले आए और सबसे बाद में गए

पुर्तगाल भारत में आने वाली पहली यूरोपीय शक्ति थी और भारत छोड़ने वाली अंतिम विदेशी ताकत। 1961 तक गोवा पुर्तगालियों के अधीन रहा। जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, तब भी गोवा पुर्तगालियों के कब्जे में था। 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ चलाकर गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराया। इसके साथ ही गोवा भारत का हिस्सा बना।

गोवा का विशेष महत्व

गोवा न केवल अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। यहां की संस्कृति, वास्तुकला और समुद्र तट देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यह राज्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और उपनिवेशवाद के इतिहास में एक अनोखा स्थान रखता है।

गोवा भारत का एक ऐसा राज्य है, जिसने इतिहास में अंग्रेजों की गुलामी नहीं देखी। यह भारत की विविधता और संघर्षशीलता का प्रतीक है। आज जब हम गणतंत्र दिवस मना रहे हैं, हमें उन सभी संघर्षों और बलिदानों को याद करना चाहिए, जिन्होंने हमें आज़ादी दी। गोवा की कहानी हमें यह सिखाती है कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ें कितनी गहरी और विविध हैं।

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