अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की लखनऊ एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने मिर्जापुर जिले के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर 120 करोड़ रुपये के बड़े टोल टैक्स घोटाले का खुलासा किया है। इस मामले में टोल प्लाजा के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है। एसटीएफ की जांच में पता चला कि इस घोटाले को एक खास सॉफ्टवेयर के जरिए अंजाम दिया गया, जिसका इस्तेमाल देशभर के 42 टोल प्लाजा पर हो रहा था।
घोटाले की जानकारी के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने पूरे देश के टोल प्लाजा पर सख्त निगरानी के आदेश जारी कर दिए हैं।
घोटाले का तरीका और गिरफ्तारी
लखनऊ एसटीएफ ने गुप्त सूचना के आधार पर लालगंज पुलिस के साथ मिलकर अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारा। कार्रवाई से पहले एसटीएफ ने टोल प्लाजा से 500 मीटर पहले एक वाहन भेजा, जिसमें फास्टैग नहीं लगा था। वाहन पर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर टैक्स चोरी का मामला पकड़ा गया। इसके बाद टोल प्लाजा पर मौजूद मनीष मिश्रा, राजीव कुमार उर्फ राजू और सॉफ्टवेयर डेवलपर आलोक सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया।
जांच में सामने आया कि टोलकर्मी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर नकली रसीदें बनाते थे और घोटाला करते थे। वाहन चालकों से 100 रुपये का शुल्क वसूला जाता था, लेकिन बैंक खाते में केवल 90 रुपये जमा किए जाते थे। बाकी 10 रुपये कर्मचारियों के खातों में ट्रांसफर हो जाते थे।
सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली
सॉफ्टवेयर डेवलपर आलोक सिंह ने इस सॉफ्टवेयर को तैयार किया और इसे मोबाइल, लैपटॉप, पेन ड्राइव और अन्य डिवाइस के जरिए इंस्टॉल कर दिया। यह सॉफ्टवेयर टोल प्लाजा पर फास्टैग और अन्य टैक्स वसूली प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करने में सक्षम था। आलोक सिंह पिछले दो साल से इस घोटाले को अंजाम दे रहा था।
42 टोल प्लाजा पर सक्रिय सॉफ्टवेयर
एसटीएफ की जांच के अनुसार, इस सॉफ्टवेयर का उपयोग उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों के टोल प्लाजा पर हो रहा था। इन प्रमुख स्थानों में हर्रो टोल प्लाजा (प्रयागराज), अम्दी टोल प्लाजा (लोहरा), बागपत, बरेली, गोरखपुर, सौनौली, शामली, मिर्जापुर का अतरैली शिव गुलाम टोल प्लाजा शामिल हैं। इसके अलावा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, झारखंड, पंजाब, गुजरात, असम, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा जैसे राज्यों के टोल प्लाजा भी इस सॉफ्टवेयर से प्रभावित थे।
आगे की कार्रवाई
लखनऊ एसटीएफ अब इस सॉफ्टवेयर से जुड़े अन्य टोल प्रबंधन और अधिकारियों की जांच कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि इस घोटाले में शामिल अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों पर भी जल्द कार्रवाई हो सकती है।
NHAI ने इस घटना के बाद पूरे देश के टोल प्लाजा पर निगरानी बढ़ाने के आदेश दिए हैं ताकि ऐसे किसी भी घोटाले को दोबारा अंजाम न दिया जा सके।