कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में स्थित एक छोटा सा गांव, माधोपट्टी, अपने आप में एक मिसाल है। यह गांव भारत में “अफसरों वाला गांव” के नाम से प्रसिद्ध है। इस गांव की खासियत यह है कि यहां जन्म लेने वाले अधिकांश लोग प्रशासनिक सेवा में कार्यरत हैं। हर घर से एक न एक व्यक्ति भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) या अन्य प्रतिष्ठित सरकारी पदों पर है।
गांव का ऐतिहासिक सफर
माधोपट्टी गांव में प्रशासनिक सेवा की शुरुआत 1914 में हुई, जब यहां के पहले व्यक्ति मुर्तजा हुसैन पीसीएस (प्रोविंशियल सिविल सर्विस) के लिए चयनित हुए। मुर्तजा हुसैन प्रसिद्ध शायर वामिक जौनपुरी के पिता थे। उन्होंने लंबे समय तक ब्रिटिश हुकूमत की सेवा की। इसके बाद, 1952 में इस गांव के इंदू प्रकाश सिंह आईएएस बने। उनकी उपलब्धियां उल्लेखनीय थीं, और उन्होंने भारत के राजदूत के रूप में फ्रांस सहित कई देशों में देश का प्रतिनिधित्व किया।
इंदू प्रकाश सिंह के बाद, गांव के चार सगे भाइयों ने आईएएस बनकर नया इतिहास रचा। इनमें से विनय सिंह 1955 में बिहार के प्रमुख सचिव बने। उनके भाई छत्रपाल सिंह और अजय सिंह ने 1964 में आईएएस की परीक्षा पास की।
महिलाओं की भागीदारी
माधोपट्टी की महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। ऊषा सिंह, 1980 में आईपीएस बनने वाली इस गांव की पहली महिला थीं। इसके बाद, इंदू सिंह और अन्य महिलाओं ने भी प्रशासनिक सेवाओं में अपनी जगह बनाई।
गांव के अन्य क्षेत्रीय योगदान
माधोपट्टी के लोग केवल प्रशासनिक सेवाओं तक ही सीमित नहीं हैं। यहां के लोग विज्ञान, साहित्य और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी योगदान दे रहे हैं।
अमित पांडेय ने 22 वर्ष की उम्र में कई किताबें प्रकाशित की हैं।
अन्मजेय सिंह विश्व बैंक मनीला में कार्यरत हैं।
डॉ. नीरू सिंह और लालेन्द्र प्रताप सिंह भाभा इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे हैं।
ज्ञानू मिश्रा इसरो में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
गांव की शिक्षा प्रणाली और सफलता का राज
माधोपट्टी की सफलता का सबसे बड़ा कारण इसकी शिक्षा प्रणाली है। गांव में औसतन साक्षरता दर 95% है, जो कि उत्तर प्रदेश के औसत 69.72% से कहीं अधिक है। डॉ. सजल सिंह के अनुसार, “ब्रिटिश हुकूमत में मुर्तजा हुसैन के कमिश्नर बनने के बाद गांव में शिक्षा का ऐसा माहौल बना, जिसने युवाओं को प्रेरित किया। यहां हर घर में एक से अधिक लोग स्नातक हैं।”
माधोपट्टी गांव अपनी अनोखी विरासत और शिक्षा के प्रति समर्पण के कारण पूरे देश में प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। इस गांव ने यह साबित कर दिया है कि यदि शिक्षा और लक्ष्य प्राप्ति के प्रति दृढ़ संकल्प हो, तो सफलता किसी भी क्षेत्र में हासिल की जा सकती है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."