कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, जिसे तहज़ीब का शहर कहा जाता है, वहां रविवार रात सत्ता के रसूख और दबंगई का एक ऐसा मामला सामने आया जिसने न केवल आम नागरिकों को विचलित किया, बल्कि पुलिस व्यवस्था और कानून-व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना लखनऊ के गौतमपल्ली थाना क्षेत्र की है, जहां कथित बीजेपी नेता और Y श्रेणी सुरक्षा प्राप्त मनोज सिंह ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर कानून को ताक पर रख दिया।
घटना का पूरा विवरण
रविवार रात 1090 चौराहे पर स्थित ‘चटोरी गली’ नामक फूड स्ट्रीट पर रवि नामक व्यक्ति अपने परिवार के साथ भोजन के लिए गए थे। वहां मामूली ऑनलाइन पेमेंट को लेकर एक विवाद हुआ, जो धीरे-धीरे हिंसक झगड़े में तब्दील हो गया। इस दौरान स्टॉल संचालक के गुर्गों ने रवि और उनके परिवार पर हमला कर दिया। महिलाओं और बच्चों से न केवल बदसलूकी की गई, बल्कि मारपीट भी की गई।
सूचना मिलने पर डायल 112 की पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची और हमलावरों को हिरासत में लेकर गौतमपल्ली थाने ले आई। लेकिन वहां जो हुआ, उसने सभी को हैरान कर दिया।
थाने में सत्ता की दबंगई
थाने में कथित बीजेपी नेता मनोज सिंह, जो सफेद ट्रैक सूट पहने और पिस्टल लगाए हुए थे, पहुंचे और पुलिसकर्मियों को खुलेआम धमकाने लगे। उन्होंने खुद को Y श्रेणी सुरक्षा प्राप्त नेता और दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री बताते हुए पुलिस पर दबाव बनाया। नतीजतन, पुलिस ने उनके गुर्गों को छोड़ दिया।
थाने में लगे सीसीटीवी कैमरों ने इस पूरे घटनाक्रम को रिकॉर्ड किया, जिसमें पुलिसकर्मी मनोज सिंह के सामने नतमस्तक नजर आ रहे थे। यह घटना पुलिस प्रशासन की निष्पक्षता और उसकी क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
पुलिस की संदिग्ध भूमिका
घटना के दौरान थाने में मौजूद चौकी इंचार्ज ने उल्टा पीड़ित रवि पर कार्रवाई की धमकी दी। इस मामले में हजरतगंज क्षेत्र के एसीपी को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसके बाद ही पीड़ित परिवार की तहरीर पर विधिक कार्रवाई शुरू हो सकी।
कौन हैं मनोज सिंह?
मनोज सिंह बलिया जिले के बैरिया के निवासी हैं और वर्तमान में लखनऊ के विभूति खंड में रहते हैं। वह चटोरी गली में कई दुकानों का संचालन करते हैं। 2022 में मनोज सिंह ने समाजवादी पार्टी (सपा) छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा था।
मनोज सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है। 2023 में उन पर बलिया के बैरिया थाने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर से छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज हुआ था। आरोप था कि उन्होंने मुख्यमंत्री और तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा की तस्वीर को एडिट कर अपनी छवि को मजबूत करने की कोशिश की थी।
प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल
गौतमपल्ली थाने में दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने चार आरोपियों का शांति भंग की मामूली धाराओं में चालान कर दिया। यह दिखाता है कि सत्ता के दबाव में पुलिस ने कानून के प्रति अपनी जिम्मेदारी से समझौता किया।
अब सवाल यह है कि क्या आरोपी नेताओं और उनके गुर्गों पर कठोर कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह सत्ता के प्रभाव में दबा दिया जाएगा। यह घटना न केवल प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सत्ता के दुरुपयोग का भी शर्मनाक उदाहरण पेश करती है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."