सुशील कुमार साहू की रिपोर्ट
बांदा जिले में संचालित गौशालाओं की हालत दिन-प्रतिदिन चिंताजनक होती जा रही है। बांदा शहर से सटी हाईटेक कही जाने वाली गौशाला का हाल बेहद खराब है। कर्मचारियों के अनुसार, बीते चार दिनों में 5 से 6 गोवंशों की असमय मृत्यु हो चुकी है। इन मृत गोवंशों को गौशाला के पास ही गड्ढों में फेंका गया है, जहां कुत्ते उन्हें नोचकर खा रहे हैं।
भोजन और सुरक्षा की कमी
गौशालाओं में गोवंशों को खाने के लिए केवल सूखी पराली दी जा रही है, जिससे वे कमजोर होकर असमय काल के गाल में समा रहे हैं। ठंड के भीषण प्रकोप के बावजूद वहां बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। गोवंश ठंड से कांप रहे हैं, लेकिन गौशाला प्रबंधन उनकी सुरक्षा और देखभाल के प्रति उदासीन है।
गोरक्षा समिति का हस्तक्षेप
इस स्थिति की सूचना मिलते ही विश्व हिंदू महासंघ गोरक्षा समिति के जिला अध्यक्ष महेश कुमार प्रजापति अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने गौशाला की दुर्दशा पर गहरा दुख व्यक्त किया और अधिकारियों की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि लगातार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
बड़ोखर ब्लॉक में भी हालात खराब
बड़ोखर ब्लॉक अध्यक्ष सत्यम मिश्रा ने बताया कि ब्लॉक की अन्य गौशालाओं की स्थिति भी बेहद खराब है। ग्राम पंचायत त्रिवेणी की अस्थाई गौशाला में कई गोवंश मरणासन्न हालत में पड़े हुए हैं। यहां भी केवल सूखा भूसा और पराली खिलाई जा रही है। ठंड से बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं है। गौशाला में नियुक्त डॉक्टर भी केवल फोन करने पर ही आते हैं।
बबेरू ब्लॉक की भयावह स्थिति
बबेरू ब्लॉक में स्थित ग्राम पंचायत मक्का की गौशाला की स्थिति तो और भी भयावह है। निरीक्षण के दौरान गौशाला के पास खुले गड्ढे में 15 मृत गोवंश मिले, जिन्हें कुत्ते खा रहे थे। गौशाला के अंदर 6-7 गोवंश गंभीर रूप से बीमार मिले, जो खाना-पीना छोड़ चुके हैं। ठंड और उचित देखभाल के अभाव में यहां लगातार गोवंशों की मौत हो रही है।
अधिकारियों की लापरवाही
क्षेत्रीय पशु चिकित्सा अधिकारी गौशालाओं में निरीक्षण करने तक नहीं आते। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इतने गोवंश एक साथ बीमार कैसे हो गए और इतने बड़े पैमाने पर मौतें कैसे हो रही हैं।
गौशालाओं की वर्तमान स्थिति से यह स्पष्ट है कि प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण गोवंशों की जान जा रही है। सरकार और प्रशासन से अपील है कि गौशालाओं की नियमित निगरानी की जाए, गोवंशों के लिए पर्याप्त भोजन और ठंड से बचाव के इंतजाम किए जाएं, ताकि उन्हें इस भयावह स्थिति से बचाया जा सके।
Author: samachar
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