कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों की गैर-जिम्मेदाराना हरकतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति, इलाज में लापरवाही और तैनाती के बावजूद जॉइनिंग न करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इन घटनाओं ने प्रदेश सरकार की चिंता बढ़ा दी है। सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लगातार कार्रवाई के बावजूद डॉक्टरों की मनमानी पर लगाम लगाना कठिन हो रहा है।
31 डॉक्टरों पर कार्रवाई: करोड़ों का जुर्माना
ताजा मामला 31 डॉक्टरों का है, जो बिना पूर्व सूचना के ड्यूटी से गायब पाए गए। इस मामले में प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कड़ा रुख अपनाते हुए विभागीय कार्यवाही के आदेश दिए हैं। इन डॉक्टरों से कुल 1 करोड़ रुपये की वसूली भी की जाएगी। प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को निर्देश दिए गए हैं कि बॉन्ड नियमों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने स्पष्ट किया कि तैनाती के दौरान लेवल-1 के डॉक्टरों को पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की अनुमति दी गई थी, लेकिन इसके लिए निर्धारित बॉन्ड का पालन न करना गंभीर लापरवाही है।
डॉक्टरों की बर्खास्तगी के पिछले मामले
यह पहला मौका नहीं है जब डॉक्टरों पर इतनी सख्त कार्रवाई हो रही है। हाल के महीनों में कई डॉक्टरों को ड्यूटी से गायब रहने और लापरवाही बरतने के लिए बर्खास्त किया जा चुका है:
1. नवंबर 2024 में बर्खास्तगी के आदेश
डिप्टी सीएम ने नवंबर 2024 में आठ डॉक्टरों को ड्यूटी से गैरहाजिर रहने पर बर्खास्त करने का आदेश दिया था। इनमें मथुरा, कासगंज, बाराबंकी, बागपत, लखनऊ और बहराइच के डॉक्टर शामिल थे।
2. सितंबर 2024 में 26 डॉक्टरों की बर्खास्तगी
सितंबर में ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले 26 डॉक्टरों को बर्खास्त किया गया था। ये डॉक्टर प्रदेश के विभिन्न जिलों जैसे जालौन, बरेली, मैनपुरी, रायबरेली, बलिया, फिरोजाबाद और सहारनपुर से थे।
डॉक्टरों पर अन्य सख्त कार्रवाई
डॉक्टरों की लापरवाही के मामलों में स्वास्थ्य विभाग ने कड़े कदम उठाए हैं। हाल ही में,
डॉक्टर नीना वर्मा से शो कॉज नोटिस मांगा गया।
तीन डॉक्टरों की वेतन वृद्धि पर दो साल के लिए रोक लगाई गई।
एक डॉक्टर को चेतावनी देकर छोड़ा गया।
स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के प्रयास
स्वास्थ्य विभाग लोगों को उनके नजदीकी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयासरत है। डॉक्टरों को तैनाती स्थल पर रात्रि निवास का आदेश दिया गया है, ताकि आपातकालीन स्थिति में उनकी सेवाएं ली जा सकें।
सवाल बाकी है: क्या सुधरेगी व्यवस्था?
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की सख्ती के बावजूद, डॉक्टरों की लापरवाही के मामलों में कमी नहीं आ रही है। बार-बार की कार्रवाई के बाद भी क्या यह समस्या जड़ से समाप्त होगी? यह सवाल अभी भी बना हुआ है।
प्रदेश सरकार के कड़े रुख के बाद अब देखना होगा कि यह कदम डॉक्टरों की जिम्मेदारी बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने में कितना कारगर साबित होता है।
Author: samachar
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