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1 February 2025 3:37 am

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केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड के किसानों को उम्मीद, लेकिन हमीरपुर के किसान रह गए वंचित

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों की दशा सुधारने के लिए केन और बेतवा नदी को जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना को एक वरदान के रूप में देखा जा रहा है। इस परियोजना के माध्यम से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के पांच जिलों में 63.5661 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा प्रदान की जाएगी। साथ ही, क्षेत्र के हजारों किसानों की आमदनी में इजाफा होने की उम्मीद है।

हालांकि, हमीरपुर जिले के किसानों के लिए यह परियोजना निराशा का कारण बन गई है। सालों से इस परियोजना के पानी के लाभ की उम्मीद लगाए बैठे जिले के दर्जनों गांवों के किसानों को अब यह समझ में आ रहा है कि उनकी जमीन इस परियोजना के लाभ से वंचित रह जाएगी।

परियोजना के लाभ और संरचना

केन-बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत चार डैम बनाए जाएंगे। मुख्य डैम मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के अंतर्गत केन नदी पर बनाया जाएगा, जिसकी ऊंचाई 77 मीटर और जलग्रहण क्षमता 19,633 वर्ग किमी होगी। इस परियोजना से 36 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। सिंचाई विभाग के अनुसार, इस परियोजना से पांच जिलों के किसानों की तकदीर बदलेगी और उनकी फसलों का बंपर उत्पादन होगा।

हमीरपुर जिले की अनदेखी

हमीरपुर जिले की सीमा से होकर गुजरने वाली बेतवा नदी का पानी तो इस परियोजना के लिए लिया जाएगा, लेकिन इस जिले के बारह गांवों को इस परियोजना से कोई लाभ नहीं मिलेगा। वर्ष 2017 में तैयार की गई परियोजना की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में हमीरपुर जिले का नाम शामिल नहीं किया गया था। इस कारण यहां के किसानों की जमीन परती रह जाएगी।

सहायक अभियंता जितेंद्र कुमार ने बताया कि डीपीआर में हमीरपुर के गांवों को शामिल करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। किसानों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि जब उनके क्षेत्र की नदी का पानी परियोजना में इस्तेमाल किया जा रहा है, तो उन्हें सिंचाई की सुविधा से वंचित क्यों रखा गया है।

सांसद ने उठाई आवाज

हमीरपुर-महोबा के सांसद अजवेन्द्र सिंह राजपूत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे “हमीरपुर के साथ सौतेला व्यवहार” करार दिया। उन्होंने कहा कि जिले के सुमेरपुर और मौदहा के दर्जनों गांवों को इस परियोजना से लाभान्वित किया जा सकता है। उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि इन गांवों को पैलानी बैराज से जोड़ा जाए।

सांसद ने आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया जाएगा। इसके अलावा, सिंचाई मंत्री को भी इस विषय में जानकारी देकर किसानों के हितों की रक्षा की मांग की जाएगी।

किसानों में मायूसी और विरोध

हमीरपुर जिले के दर्जनों गांवों के किसान इस परियोजना से बाहर किए जाने को लेकर बेहद निराश हैं। उन्होंने इसे उनके साथ बड़ा अन्याय बताया है। इन किसानों को उम्मीद थी कि यह परियोजना उनकी जमीनों को सिंचाई की सुविधा प्रदान कर उनकी समस्याओं को खत्म करेगी।

केन-बेतवा लिंक परियोजना जहां बुंदेलखंड के अन्य जिलों के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, वहीं हमीरपुर जिले के किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। इस परियोजना से उनके वंचित होने का मुद्दा न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि संसद में भी गूंजने वाला है। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस जिले के किसानों की पीड़ा को समझकर कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं।

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