कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ । काकोरी ब्लॉक के दसदोई ग्राम सभा से भ्रष्टाचार की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां के ग्राम प्रधान, राजकुमार यादव, ने सरकारी योजनाओं की रकम को अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर हड़पने का गंभीर आरोप झेला है। जांच के बाद खुलासा हुआ कि प्रधान ने सरकारी योजनाओं के नियमों को ताक पर रखकर अपने चार बेटा-बेटियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी फंड का दुरुपयोग किया है।
कैसे हुआ फंड का दुरुपयोग?
प्रधान ने मनरेगा योजना के तहत अपने ही बच्चों के नाम से जॉब कार्ड बनवाए और उनकी मजदूरी का पूरा पैसा उनके बैंक खातों में ट्रांसफर करवा दिया। सरकारी नियमों के अनुसार, ग्राम प्रधान अपने परिवार के किसी भी सदस्य के नाम पर जॉब कार्ड नहीं बनवा सकता, लेकिन राजकुमार यादव ने इस नियम की अनदेखी की।
इतना ही नहीं, ग्राम सभा में मौजूद दो गौशालाओं के लिए नियुक्त किए जाने वाले गौपालकों के पदों पर भी प्रधान ने अपने बेटों को नियुक्त करवा दिया। गौपालकों को मिलने वाला मासिक मानदेय भी इन्हीं के बेटों को दिया गया। इसके अलावा, ग्राम विकास निधि का पैसा भी प्रधान ने अपने बेटों के बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिया।
घटना का खुलासा कैसे हुआ?
इस भ्रष्टाचार का खुलासा तब हुआ, जब एक शिकायतकर्ता ने खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) से शिकायत की। शिकायत के बाद बीडीओ ने जांच कराई और 30 पेज की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट में प्रधान द्वारा किए गए सभी घोटालों की पुष्टि हुई। जांच में पाया गया कि प्रधान ने योजनाओं का पैसा अपने परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया।
जांच रिपोर्ट को मनरेगा उपायुक्त और सीडीओ के पास भेज दिया गया है। सीडीओ ने अब इस मामले की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
गौशालाओं का भी दुरुपयोग
सरकार द्वारा गांव में पशुओं की देखरेख के लिए दो गौशालाएं स्थापित की गई थीं। इन गौशालाओं में पशुपालन के लिए दो गौपालकों की नियुक्ति होनी थी। लेकिन, प्रधान ने नियमों को दरकिनार कर अपने दो बेटों को ही गौपालक के पद पर नियुक्त कर दिया। इस तरह, प्रधान के बेटे एक साथ दो योजनाओं का लाभ उठा रहे थे – मनरेगा मजदूरी और गौपालक का मानदेय।
आगे की कार्रवाई
जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। प्रधान राजकुमार यादव पर लगे आरोपों को देखते हुए उनकी जिम्मेदारियों की समीक्षा की जाएगी और भ्रष्टाचार में शामिल सभी कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला ग्राम स्तर पर भ्रष्टाचार की एक बड़ी मिसाल है, जहां सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचने के बजाय प्रधान और उनके परिवार तक सीमित रह गया। इस घटना ने न केवल प्रशासनिक तंत्र की खामियों को उजागर किया है, बल्कि ग्रामीण विकास योजनाओं के दुरुपयोग पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।