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28 December 2024 2:37 am

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संभल हिंसा के बाद, कहाँ गरजा बाबा का बुलडोजर? सवाल पूछने लगी है जनता

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा के बाद, इलाके में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। हालांकि, इस बीच चंदौसी इलाके में प्रशासन द्वारा बुलडोजर कार्रवाई किए जाने से यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस कार्रवाई को लेकर योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

बुलडोजर कार्रवाई: स्थान और वजह

जहां हिंसा हुई थी, वह इलाका संभल के सदर तहसील क्षेत्र में आता है। लेकिन जिस इलाके में बुलडोजर चलाया गया, वह चंदौसी तहसील के अंतर्गत है। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई हिंसा प्रभावित इलाके में नहीं हुई, बल्कि चंदौसी में अतिक्रमण हटाने के अभियान के तहत की गई। बताया गया कि अवैध दुकानों को हटाने के लिए पहले ही नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद यह कदम उठाया गया।

चंदौसी में नगर पालिका परिषद ने देर शाम तक अवैध निर्माण तोड़ने का काम जारी रखा। दिलचस्प बात यह है कि इस कार्रवाई के दौरान यूपी सरकार की माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी के पिता की दुकान भी तोड़ी गई। मंत्री ने खुद हथौड़ा चलाकर दुकान को गिराने में हिस्सा लिया, जो प्रशासन की निष्पक्षता को दर्शाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

प्रशासन का पक्ष

अधिकारियों के अनुसार, यह अभियान पिछले एक महीने से चल रहा है और इसका मकसद बाजार को व्यवस्थित बनाना है। डीएम ने कार्रवाई से पहले इलाके का निरीक्षण किया और लोगों से सहयोग की अपील की। प्रशासन का दावा है कि सभी नियमों का पालन किया गया है और अतिक्रमण हटाने का यह अभियान आगे भी जारी रहेगा।

ओवैसी का विरोध और आरोप

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस कार्रवाई को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि योगी सरकार एक पूरे समाज को सजा देने का काम कर रही है, जिसका अपराध सिर्फ इतना है कि उन्होंने अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग किया।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार किसी भी बुलडोजर कार्रवाई से पहले कम से कम 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है और प्रभावित लोगों को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। ओवैसी ने इस कार्रवाई को मनमानी करार देते हुए पूछा कि क्या ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का अधिकार है, जो संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान नहीं करती।

सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा था कि किसी आरोपी या दोषी को बिना मुकदमे के सजा देना गलत है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी का घर या संपत्ति सिर्फ आरोपी होने के आधार पर नहीं गिराई जा सकती। कोर्ट ने सरकारी ताकत के मनमाने इस्तेमाल को खारिज करते हुए कहा था कि कार्रवाई से पहले पर्याप्त समय और नोटिस देना जरूरी है।

संभल की हालिया घटनाएं राज्य प्रशासन और सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। बुलडोजर कार्रवाई को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। हालांकि प्रशासन इसे नियमित अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया बता रहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी के आरोप सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं।

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