कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद गहराता जा रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद पहले श्री हरिहर मंदिर थी, जिसे मुगल शासक बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद में तब्दील कर दिया था। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मंदिर के होने का दावा पूरी तरह से बेबुनियाद है और इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है।
मामले की शुरुआत और कानूनी लड़ाई
19 नवंबर 2024 को हिंदू पक्ष के आठ लोगों ने संभल सिविल कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं में केला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन समेत अन्य लोग शामिल हैं। उन्होंने बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि जामा मस्जिद पहले हरिहर मंदिर हुआ करती थी।
महंत ऋषिराज गिरी का कहना है, “यह मंदिर हमारा था, है, और हमेशा रहेगा। हमने कोर्ट में अपने सारे सबूत पेश कर दिए हैं।” हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के भीतर मंदिर से जुड़े अवशेष छिपे हो सकते हैं, जिन्हें उजागर करना जरूरी है।
मुस्लिम पक्ष के वकील और जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली का कहना है, “हिंदू पक्ष के पास मंदिर होने का कोई ठोस सबूत नहीं है। अगर ऐसा होता, तो आजादी के बाद या उससे पहले इसका दावा किया गया होता।”
सर्वेक्षण और हिंसा
19 नवंबर को पहले सर्वेक्षण के बाद 24 नवंबर को सुबह 6:30 बजे दूसरा सर्वेक्षण किया गया। सर्वे के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। जैसे ही सर्वे टीम मस्जिद पहुंची, वहां पथराव शुरू हो गया। देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग मस्जिद के बाहर इकट्ठा हो गए, और स्थिति बेकाबू हो गई।
पथराव के बाद इलाके में हिंसा भड़क गई, जिसमें आगजनी और गोलाबारी हुई। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और 15 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें सीओ अनुज चौधरी और एसपी के पीआरओ भी शामिल हैं। मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनकी मौत पुलिस की गोलीबारी से हुई।
इतिहास और विवाद के साक्ष्य
हिंदू पक्ष ने बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी का हवाला देते हुए दावा किया है कि संभल में हरिहर मंदिर का उल्लेख है। हालांकि, इतिहासकार इस दावे को लेकर बंटे हुए हैं। ब्रिटिश पुरातत्वविद् अलेक्जेंडर कनिंघम ने लिखा था कि जामा मस्जिद के निर्माण में हिंदू और जैन मंदिरों के स्तंभों का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि मस्जिद का निर्माण बाबर ने किया था या यह उससे पहले बनी थी।
हिंसा के बाद स्थिति और आगे का रास्ता
हिंसा के बाद संभल में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी है और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। अदालत में 29 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी, जहां सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश की जाएगी।
मामले ने काशी और मथुरा के विवादों की याद दिला दी है, जहां मंदिर और मस्जिद को लेकर लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही है। संभल में भी यह मामला अब केवल एक धार्मिक विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन गया है।