चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद के बाहर रविवार को अदालत के आदेश पर किए जा रहे सर्वे के दौरान भीड़ और पुलिस के बीच हुए हिंसक टकराव ने चार लोगों की जान ले ली। इस हिंसा में 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। इलाके में भारी पुलिस बल तैनात है, और हालात को नियंत्रित करने के लिए आसपास के जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया है।
हिंसा के कारण और मृतकों के नाम
पुलिस प्रशासन ने अब तक हिंसा में चार लोगों की मौत की पुष्टि की है। मारे गए लोगों में बिलाल (22), नईम ग़ाज़ी (34), कैफ़ (17), और आयान (16) शामिल हैं। मृतकों के परिजनों का आरोप है कि इनकी मौत पुलिस फायरिंग में हुई है। हालांकि, मुरादाबाद रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) मुनिराज जी ने इस आरोप को खारिज करते हुए दावा किया कि पुलिस ने गोली नहीं चलाई।
संभल के सांसद ज़ियाउर रहमान बर्क़ ने इस घटना के लिए पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। बर्क़ ने कहा कि जब हिंसा हुई, वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में बेंगलुरु में मौजूद थे। उन्होंने इसे एक साजिश करार देते हुए अपनी फ्लाइट की टिकट भी मीडिया को दिखाई।
पीड़ित परिवारों का दर्द
हिंसा में मारे गए नईम ग़ाज़ी की मां इदरो ग़ाज़ी ने कहा, “मेरा बेटा घर का अकेला कमाने वाला था। उसने अपनी मिठाई की दुकान चलाकर हमें पालने का जिम्मा उठाया था। अब मेरे चार बच्चों का भविष्य अंधेरे में है।”
बिलाल के पिता नफीस का कहना है, “पुलिस ने मेरे बेटे के सीने पर गोली मारी। वह दुकान के लिए कपड़े खरीदने गया था। पुलिस की गोली ने मेरे जवान बेटे को मुझसे छीन लिया।”
17 वर्षीय कैफ़ की मां अनीसा ने रोते हुए आरोप लगाया कि उनके बेटे को पुलिस ने गोली मारी, और घर से उनके बड़े बेटे को भी जबरदस्ती उठा लिया। अनीसा ने कहा, “हमारा गुनाह सिर्फ इतना है कि हम मुसलमान हैं। हमें इंसान भी नहीं समझा जा रहा है।”
रोमान खान के परिजनों ने बिना पोस्टमार्टम कराए ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया। परिवार ने किसी मुकदमे या जांच की मांग करने से इनकार करते हुए कहा कि वे चुपचाप सब्र कर लेना चाहते हैं।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
पुलिस प्रशासन का दावा है कि हालात अब नियंत्रण में हैं। संभल के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि उपद्रवियों की पहचान ड्रोन फुटेज और वीडियो के आधार पर की जा रही है। अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, और सांसद ज़ियाउर रहमान बर्क़ सहित 2700 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
इलाके में तनावपूर्ण शांति
संभल में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं, और एक दिसंबर तक बाहरी लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और राजनेताओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। बारहवीं कक्षा तक के स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। स्थानीय गलियां सूनी हैं, और वहां सिर्फ पुलिसकर्मी तैनात हैं।
न्याय की मांग और समुदाय में डर
मारे गए लोगों के परिजन और स्थानीय लोग पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि इलाके में इस कदर डर का माहौल है कि वे पुलिस या सरकार के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं।
संभल की यह घटना केवल चार लोगों की मौत की नहीं, बल्कि प्रशासन और जनता के बीच बढ़ते अविश्वास और सांप्रदायिक तनाव का उदाहरण बन गई है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच करते हुए न्याय सुनिश्चित कर पाता है या नहीं।