जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
मऊ। माता-पिता अपने बच्चों के लिए पूरी जिंदगी मेहनत करते हैं। उनकी हर जरूरत पूरी करते हैं, उनकी हर जिद मानते हैं। लेकिन समय बीतने के साथ अक्सर यही बच्चे अपने माता-पिता की उपेक्षा करने लगते हैं। कुछ ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग व्यक्ति को अपनी पत्नी के शव को ठेले पर रखकर 50 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा।
मऊ के रहने वाले गुलाबचंद्र अपनी बीमार पत्नी का इलाज कराने बलिया के नगरा अस्पताल पहुंचे थे। लेकिन इलाज के दौरान उनकी पत्नी का निधन हो गया। इस हादसे के बाद गुलाबचंद्र ने अपने गांव तक शव ले जाने के लिए मदद मांगी, लेकिन कोई आगे नहीं आया। चार बच्चों के पिता गुलाबचंद्र की संतानों ने भी उनकी मदद से मुंह मोड़ लिया। इस विवशता में उन्होंने ठेले का सहारा लिया और अपनी पत्नी के शव को लेकर घर की ओर चल पड़े।
गांव में हुई पत्नी की मौत
गुलाबचंद्र का परिवार मऊ जिले के दादनपुर अहिरौली गांव में रहता है। उन्होंने अपनी पत्नी की बिगड़ती हालत को देखते हुए गांव के लोगों की सलाह पर झाड़-फूंक का सहारा लिया। उम्मीद थी कि उनकी पत्नी की हालत में सुधार होगा। इस उम्मीद में वे अपनी पत्नी को लेकर बलिया के नगरा पहुंचे। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। उनकी पत्नी ने शनिवार शाम अस्पताल में दम तोड़ दिया।
पुलिस ने निभाई इंसानियत
पत्नी की मौत के बाद गुलाबचंद्र ने लोगों से मदद की गुहार लगाई ताकि वह अपनी पत्नी के शव को गांव तक ले जा सकें। लेकिन उन्हें कहीं से मदद नहीं मिली। आखिरकार उन्होंने ठेले का सहारा लिया और शव को लेकर 50 किलोमीटर दूर अपने गांव की ओर पैदल चल दिए। रास्ते में जब पुलिस को इसकी जानकारी हुई तो घोसी के कोतवाल ने मामले में हस्तक्षेप किया। उन्होंने तुरंत शव को वाहन के जरिए गुलाबचंद्र के गांव तक पहुंचवाया। इतना ही नहीं, पुलिस ने अंतिम संस्कार का सारा खर्च भी उठाया।
समाज के लिए सवाल
इस घटना ने समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जहां एक ओर माता-पिता अपने बच्चों के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ बच्चे उनकी सेवा से कतराते हैं। गुलाबचंद्र की कहानी न केवल दिल को झकझोरने वाली है, बल्कि यह हमें यह सोचने पर भी मजबूर करती है कि क्या हम अपने माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ रहे हैं?
यह घटना केवल एक बुजुर्ग पति की विवशता की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज के नैतिक मूल्यों पर भी गहरा सवाल खड़ा करती है।