सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में हो रहे उपचुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी का कहना है कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में मतदाताओं को वोट डालने से रोका जा रहा है। इस संबंध में समाजवादी पार्टी ने कई वीडियो जारी किए हैं, जिनमें कथित तौर पर मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी के प्रमाण दिखाए गए हैं। इन वीडियो के सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सात पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।
निलंबन की कार्रवाई
कानपुर के सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र से सामने आए एक वीडियो पर संज्ञान लेते हुए, वहां तैनात दो सब-इंस्पेक्टरों को निलंबित कर दिया गया है। इसी तरह, मुजफ्फरनगर जिले में भी दो दारोगाओं पर कार्रवाई की गई है। मुरादाबाद के कुंदरकी क्षेत्र में, एक सब-इंस्पेक्टर और दो कांस्टेबल को ड्यूटी से हटाने के साथ-साथ उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
कानपुर नगर पुलिस कमिश्नरेट ने ट्वीट करते हुए बताया कि इन शिकायतों का गंभीरता से संज्ञान लिया गया है। सभी संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि मतदान प्रक्रिया निष्पक्ष रूप से पूरी हो।
अखिलेश यादव के आरोप और मांग
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को लेकर निर्वाचन आयोग से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “अगर निर्वाचन आयोग का कोई वास्तविक अस्तित्व है, तो वह प्रशासन द्वारा मतदाताओं को हतोत्साहित करने के इन कृत्यों को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करे।” उन्होंने प्रशासन पर कई आरोप लगाए, जिनमें पुलिस द्वारा मतदाताओं की आईडी चेक करना, रास्ते बंद करना, असली आईडी को नकली बताकर मतदाताओं को धमकाना, और मतदान प्रक्रिया को धीमा करना शामिल है।
अखिलेश यादव ने यह भी सुझाव दिया कि मतदान का समय बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि जो मतदाता इन बाधाओं के कारण वोट नहीं डाल पाए हैं, उन्हें मौका मिल सके। उन्होंने कहा कि चुनावी गड़बड़ी के सभी वीडियो का तुरंत संज्ञान लिया जाए और दोषी अधिकारियों को उनके पदों से हटाया जाए।
चुनाव आयोग का निर्देश
चुनाव आयोग ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया कि मतदान प्रक्रिया को निष्पक्ष और सुचारू रूप से सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने यूपी चुनाव आयोग, सभी जिला चुनाव अधिकारियों और रिटर्निंग अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी मतदाता को मतदान से वंचित न किया जाए।
आयोग ने कहा, “किसी भी प्रकार का पक्षपाती रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर किसी अधिकारी या कर्मचारी पर पक्षपात का आरोप सिद्ध होता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” इसके अलावा, सभी 9 जिलों में तैनात पुलिस और पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे मतदान प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखें।
मतदाताओं से अपील
अखिलेश यादव ने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि जिन लोगों को पुलिस या प्रशासन ने मतदान से रोका है, वे फिर से जाकर अपना वोट डालें। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अब चुनाव आयोग सतर्क हो गया है और दोबारा ऐसी गड़बड़ी होने की संभावना नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी मतदाता को फिर से रोका जाए, तो वे मौके पर मौजूद चुनाव आयोग के अधिकारियों या राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को तुरंत सूचित करें। इसके अलावा, उन्होंने प्रशासन और पुलिस के उन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की, जिनकी बेईमानी के वीडियो साक्ष्य उपलब्ध हैं।
इस घटना ने उत्तर प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए त्वरित कदम और समाजवादी पार्टी की सक्रियता से यह संकेत मिलता है कि राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखने के लिए सभी पक्ष सतर्क हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि आयोग और प्रशासन इन आरोपों के बीच मतदान प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष बनाने में कितना सफल होते हैं।