सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
गोरखपुर, सोमवार को गोरखपुर के जनता दर्शन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने एक अजीबोगरीब लेकिन गंभीर शिकायत आई। बनारस के थाना चोलापुर क्षेत्र के दशवतपुर गांव से आए संदीप सिंह ने फरियाद की कि, “महाराज जी, डीजे का शोर या तो कम करवा दीजिए या फिर इसे बंद ही करा दीजिए।” अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर डीजे का शोर और गायों का दूध का क्या कनेक्शन? लेकिन जनाब, कहानी में ट्विस्ट यही है!
डीजे का शोर और ‘गाय के उदर’ का स्यापा
संदीप सिंह ने शिकायत में बताया कि जब उनके गांव में कोई शादी-विवाह या कोई अन्य भव्य आयोजन होता है, तो डीजे की इतनी धुन बजती है कि उनके पशुओं का दूध उत्पादन ‘खट से घट’ जाता है। “हमारी गायें सामान्य दिनों में 5 से 6 लीटर दूध देती हैं। लेकिन जैसे ही कोई बारात धूम-धाम से निकलती है और डीजे पर ‘लुंगी डांस’ बजता है, हमारी गायें गुस्से में आकर दूध की मात्रा 2 से 3 लीटर तक कम कर देती हैं,” संदीप ने दुखी स्वर में बताया।
सिर्फ इतना ही नहीं, डीजे की ऊंची आवाज़ सुनकर गायें कभी-कभी भड़क भी जाती हैं, जिससे जानवरों के साथ-साथ इंसानों के घायल होने का खतरा भी बना रहता है। संदीप सिंह ने कहा, “महाराज जी, डीजे वाले तो ऐसे धुन बजाते हैं कि हमारी गायें समझती हैं कि बारात नहीं, बल्कि कोई बम धमाका हो गया है!”
नियम-कानून और डेसिबल की दुहाई
संदीप सिंह ने अपने पत्र में कानून का हवाला देते हुए कहा कि नियम के अनुसार रात 10 बजे के बाद डीजे बजाना वैसे ही प्रतिबंधित है, और ध्वनि की सीमा 50-60 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन, गांवों में नियम-कानून की बली अक्सर ‘डीजे वाले बाबू’ के हाथों चढ़ जाती है। उन्होंने निवेदन किया कि सभी थानों को ध्वनि मापने के यंत्र दिए जाएं, ताकि डीजे की तेज आवाज को नियंत्रित किया जा सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संदीप की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए आश्वासन दिया, “ठीक है, बाबा लोग जल्द ही अभियान चलाकर इस पर सख्त कार्यवाही करेंगे।”
‘गायों की नींद हराम, दूध हुआ कम’: डॉक्टर बीके सिंह की चेतावनी
इस मुद्दे पर जब पूर्व पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बीके सिंह से बात की गई, तो उन्होंने भी संदीप सिंह की शिकायत को सही ठहराया। “100 डेसिबल से ऊपर की तेज ध्वनि जानवरों के लिए बहुत नुकसानदायक होती है,” डॉक्टर साहब ने बताया। “हम इंसान तो फिर भी कानों में उंगलियां डाल सकते हैं, लेकिन बेचारे मवेशियों के पास तो वो भी ऑप्शन नहीं है!”
डॉक्टर साहब ने आगे कहा, “गायें भी आखिरकार हमारी ‘आधुनिक बारात कल्चर’ से तंग आ चुकी हैं। तेज ध्वनि की वजह से उनकी दूध देने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। ये मामला सिर्फ संदीप का नहीं, बल्कि हर उस किसान का है, जिसकी गायें डीजे के शोर से परेशान होकर दूध कम कर देती हैं।”
गोरखपुर से संदेश : ‘कम बजाओ, मवेशियों को बचाओ!’
इस घटना के बाद गांव में अब चर्चा गर्म है कि आखिर ‘डीजे’ और ‘गायों का दूध’ दोनों को कैसे बचाया जाए। गांव वालों का कहना है कि अगर सरकार सख्ती से डीजे की ध्वनि सीमा तय कर दे, तो शायद गायों का गुस्सा थोड़ा ठंडा हो जाए और दूध की धार फिर से बहने लगे।
तो अब देखना ये है कि ‘महाराज जी’ के इस आश्वासन के बाद क्या डीजे की आवाज़ कुछ कम होगी या फिर गायें अगली बार ‘जनता दर्शन’ में खुद ही शिकायत करने पहुंच जाएंगी!