कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
राजधानी लखनऊ के कृष्णा नगर में एक 150 वर्ष पुराने शिव मंदिर में भूमाफियाओं ने ताला लगा दिया है और मंदिर के पुजारी शिवकरन शुक्ला को जान से मारने की धमकी दी है। पुजारी ने पुलिस प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस गंभीर मामले ने योगी सरकार के पुलिस प्रशासन की विफलता को उजागर किया है, जबकि भूमाफियाओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संन्यासी छवि के बावजूद, स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और विश्वास पर खतरा मंडरा रहा है।
राजधानी लखनऊ के कृष्णा नगर क्षेत्र में स्थित एक 150 वर्ष पुराने शिव मंदिर में भूमाफियाओं ने ताला लगा दिया है और मंदिर के पुजारी को जान से मारने की धमकी दी है। इस गंभीर मामले में पुजारी शिवकरन शुक्ला ने पुलिस प्रशासन से शिकायत की, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
कृष्णा नगर कोतवाली के पास स्थित इस मंदिर में पुजारी ने 44 वर्षों से पूजा पाठ किया है। 70 वर्षीय शिवकरन शुक्ला ने आँसुओं के साथ बताया कि पिछले एक वर्ष से वह भूमाफियाओं के खिलाफ पुलिस से गुहार लगाते आ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भूमाफियाओं ने कई बार उन्हें जान से मारने की धमकी दी है, फिर भी पुलिस प्रशासन कार्रवाई करने से कतराता रहा है।
पुजारी ने पत्रकारों के सामने स्पष्ट किया कि भूमाफिया, जिनमें कानपुर देहात के बिकरु हत्याकांड में शामिल विकास दुबे के चाचा अमित दुबे और अन्य लोग शामिल हैं, करोड़ों रुपए की शिव मंदिर की भूमि पर अवैध कब्जा करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि भूमाफियाओं ने मंदिर के मुख्य द्वार पर तीन ताले जड़ दिए हैं और मंदिर परिसर में लगे होर्डिंग और पोस्टरों को भी नुकसान पहुँचाया है।
मंदिर की भूमि दानकर्ताओं द्वारा दी गई थी, जिसमें 13 बीघा भूमि शामिल है, जबकि 14 बीघा भूमि मंदिर परिसर की है। इसके बावजूद, कृष्णा नगर कोतवाली से मात्र 200 मीटर की दूरी पर स्थित होने के बावजूद, पुलिस का इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लेना बेहद चिंताजनक है।
इस स्थिति पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। वह खुद एक संन्यासी हैं और गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर हैं, फिर भी प्रशासन में बैठे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। स्थानीय थानों में पुलिस प्रशासन की मनमानी और भूमाफियाओं के बढ़ते आतंक ने जनता के विश्वास को चोट पहुँचाई है।
इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि शासन-प्रशासन की विफलता और भूमाफियाओं को मिली शह ने न केवल मंदिर की पवित्रता को चुनौती दी है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी आहत किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस मामले का संज्ञान लेकर प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि जनता का विश्वास वापस लौट सके।
इस प्रकार की घटनाएँ यह दिखाती हैं कि कैसे प्रशासनिक असफलताएँ समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करती हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस गंभीर मामले पर क्या कदम उठाती है।