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November 21, 2024 7:06 pm

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आखिर “माता प्रसाद” जिंदा हो ही गए कागजों में, बडा़ अजीब लेकिन दिलचस्प है मामला

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

लखनऊ के निगोहां क्षेत्र के भद्दी सिर्स गांव में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां 75 वर्षीय बुजुर्ग माता प्रसाद को कागजों में मृत घोषित कर उनकी पेंशन रोक दी गई। छह महीने से वह खुद को जीवित साबित करने के लिए अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब मीडिया में इसकी खबर प्रमुखता से छपी, जिसके बाद संबंधित अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लिया और तत्काल जांच के आदेश दिए।

बुजुर्ग को कागजों में मृत घोषित कर दी गई पेंशन बंद

भद्दी सिर्स गांव के निवासी माता प्रसाद को पेंशन सत्यापन के दौरान मृतक घोषित कर दिया गया था। इसके चलते उनकी पेंशन बंद कर दी गई। माता प्रसाद को इस बारे में जब पता चला, तो उन्होंने अधिकारियों के पास जाकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की, लेकिन छह महीनों तक कोई सुनवाई नहीं हुई। पेंशन से वंचित माता प्रसाद के पास अब रोज़मर्रा की जरूरतें पूरी करने का कोई साधन नहीं रह गया था, और वह अपनी पेंशन की बहाली के लिए लगातार कोशिश करते रहे।

मीडिया की सक्रियता और प्रशासन की नींद खुली

मीडिया ने जब इस मामले को प्रमुखता से उठाया, तब प्रशासन हरकत में आया। अधिकारियों ने माता प्रसाद के मामले में हुई गड़बड़ी को सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाए। समाज कल्याण निदेशालय को पत्र भेजकर पेंशन बहाल करने के निर्देश दिए गए, साथ ही माता प्रसाद को मृत घोषित करने की गलती की जांच शुरू की गई। खंड विकास अधिकारी मोहनलालगंज ने भी पुष्टि की कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

थाना दिवस पर माता प्रसाद ने की अपनी व्यथा व्यक्त

शनिवार को माता प्रसाद निगोहां थाने में आयोजित थाना दिवस पर पहुंचे और अपनी तकलीफ एसीपी मोहनलालगंज रजनीश वर्मा के सामने रखी। माता प्रसाद ने एसीपी से कहा कि वह छह महीने से अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई राहत नहीं मिल पाई है। एसीपी ने तुरंत खंड विकास अधिकारी मोहनलालगंज से फोन पर बात की और उनसे इस मामले पर रिपोर्ट मांगी। एसीपी ने माता प्रसाद को आश्वासन दिया कि जल्द ही उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा और पेंशन पुनः जारी की जाएगी।

आगे की कार्यवाही और न्याय की उम्मीद

प्रशासन ने कागजों में हुई गलती को ठीक करने के साथ ही पेंशन बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके अलावा, माता प्रसाद को मृत घोषित करने के मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया गया है। जांच टीम ने मामले से जुड़े कुछ व्यक्तियों के बयान भी दर्ज कर लिए हैं। माता प्रसाद ने मांग की है कि उन्हें मृत घोषित करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में किसी अन्य बुजुर्ग को ऐसी परेशानी का सामना न करना पड़े।

इस घटना ने एक बार फिर प्रशासनिक प्रणाली में सुधार की जरूरत को उजागर किया है। बुजुर्ग माता प्रसाद जैसे नागरिकों को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि कैसे छोटी-छोटी लापरवाहियां किसी के जीवन में बड़ी समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। उम्मीद है कि प्रशासन इस मामले में उचित कदम उठाकर माता प्रसाद को उनका हक दिलाएगा और ऐसे मामलों को भविष्य में रोकने के लिए ठोस उपाय करेगा।

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