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November 25, 2024 12:42 pm

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इश्क की कीमत : जात-पात की दीवारों ने ले ली एक और जान

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के करीमुद्दीनपुर इलाके में एक हृदयविदारक घटना ने प्रेम के नाम पर समाज की कठोरता को एक बार फिर उजागर कर दिया है। जात-पात की दीवारें, जो आधुनिक समाज में गिरनी चाहिए थीं, आज भी प्रेम के रास्ते में एक घातक बाधा बनकर खड़ी हैं। ऐसा ही कुछ 21 वर्षीय धीरज गुप्ता के साथ हुआ, जो अपने से ऊंची जाति की एक युवती से प्रेम करता था। लेकिन यह प्रेम उसके लिए जानलेवा साबित हुआ।

समाज के विरुद्ध प्रेम की लड़ाई

धीरज के भाई कमलेश गुप्ता ने बताया कि उसके छोटे भाई का गांव की एक लड़की के साथ प्रेम-संबंध था। हालांकि इस रिश्ते को लेकर लड़की के परिवार वाले नाखुश थे। जातिगत असमानता के कारण उन्होंने इस रिश्ते का विरोध किया और बार-बार कमलेश को अपने भाई को समझाने के लिए दबाव और धमकियाँ दीं। लड़की के पिता और परिवारवालों ने कमलेश को यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर धीरज ने अपनी प्रेमिका से मिलना नहीं छोड़ा, तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे।

प्रेम की जिद या जान का खतरा

6 अक्टूबर की रात को कमलेश और उनका परिवार सामान्य तरीके से अपने घर पर थे। उसी दौरान, लड़की के परिवार ने कमलेश को बुलाकर डराया और यह धमकी दी कि धीरज को समझा लें, नहीं तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। उसी रात धीरज के फोन पर एक कॉल आई, जिसके बाद वह रात में ही घर से निकल गया। अगली सुबह करीब 5 बजे गांव के एक व्यक्ति ने कमलेश को बताया कि उसका भाई लड़की के दरवाजे पर गंभीर हालत में पड़ा है।

प्रेम की कीमत: मौत

कमलेश तुरंत परिवार के अन्य सदस्यों के साथ लड़की के घर पहुंचा, जहां उसका भाई घायल अवस्था में पड़ा था। कमलेश ने 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी और भाई को इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र ले गया। दुर्भाग्यवश, डॉक्टरों ने धीरज को मृत घोषित कर दिया।

अंतिम संस्कार के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज

घटना के बाद, कमलेश ने अपने भाई का हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया। इसके बाद, 22 अक्टूबर को कमलेश ने करीमुद्दीनपुर थाने में लड़की के पिता, मां और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ तहरीर देकर कानूनी कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच में जुट गई है।

इस दुखद घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर समाज में जाति और धर्म का यह गहरा भेदभाव कब खत्म होगा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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