-अनिल अनूप
दंगे जैसी संवेदनशील स्थितियों में मीडिया और पत्रकारों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। उनका कार्य केवल सूचनाएं देने तक सीमित नहीं होता, बल्कि समाज को सही दिशा में मार्गदर्शन देने और प्रशासन के साथ सामंजस्य बिठाने की जिम्मेदारी भी पत्रकारों के कंधों पर होती है। इस कठिन समय में उनकी रिपोर्टिंग न केवल तथ्यों को प्रस्तुत करने का माध्यम बनती है, बल्कि समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने का एक अहम जरिया भी होती है।
सामाजिक जिम्मेदारी
दंगे जैसी विकट परिस्थितियों में पत्रकारों की सबसे बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी होती है कि वे शांति और सौहार्द का संदेश दें। उनका लेखन ऐसा होना चाहिए जो हिंसा को रोकने और लोगों को शांतिपूर्ण संवाद के लिए प्रेरित करे। पत्रकारिता का मूल सिद्धांत होता है समाज को जागरूक करना, लेकिन यह जागरूकता तभी प्रभावी होती है जब उसमें सामाजिक उत्तरदायित्व का भाव हो।
इसी क्रम में, अफवाहों का खंडन करना पत्रकारों का नैतिक कर्तव्य है। दंगों के दौरान अफवाहें बहुत तेजी से फैलती हैं, और ऐसी गलत सूचनाएं स्थिति को और बिगाड़ सकती हैं। पत्रकारों को सुनिश्चित करना चाहिए कि जो भी खबर वे साझा कर रहे हैं, वह सत्यापित और प्रमाणिक हो। समाज में शांति बनाए रखने के लिए सही सूचना का प्रसार अत्यंत आवश्यक है, ताकि लोग भड़काने वाली अफवाहों से दूर रहें और स्थिति को शांति के साथ सुलझा सकें।
दंगे के दौरान संवेदनशीलता एक और महत्वपूर्ण पहलू है। पत्रकारों को पीड़ितों की कहानियों को संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए। यह जरूरी है कि उनकी रिपोर्टिंग पीड़ितों की तकलीफों को उजागर करे, ताकि समाज उनके दर्द को समझ सके और उनके समर्थन में खड़ा हो सके। किसी भी रिपोर्ट में पीड़ितों की गरिमा और मानवाधिकारों का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है।
प्रशासनिक जिम्मेदारी
सिर्फ सामाजिक ही नहीं, पत्रकारों की प्रशासनिक जिम्मेदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। उन्हें सटीक और समय पर जानकारी प्रशासन तक पहुंचानी चाहिए, ताकि प्रशासन तेजी से कार्रवाई कर सके और स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। इस दौर में गलत सूचना या देरी से पहुंचाई गई जानकारी भारी नुकसान का कारण बन सकती है।
इसके साथ ही पत्रकारों को प्रशासनिक कार्रवाई पर नजर रखनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है कि प्रशासन निष्पक्ष और प्रभावी ढंग से काम कर रहा है या नहीं। किसी भी प्रकार की प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करना और जनहित में सवाल उठाना पत्रकारिता की मूल भूमिका है। इसी तरह, पत्रकारों को प्रभावी संवाद के माध्यम से प्रशासन और जनता के बीच सेतु का काम करना चाहिए, ताकि दोनों पक्षों की चिंताओं और विचारों को सही तरीके से साझा किया जा सके।
प्रशासनिक प्रयासों का समर्थन करना भी पत्रकारों की जिम्मेदारी का हिस्सा है। शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन जिन प्रयासों में जुटा होता है, उन पर ध्यान केंद्रित करना और उसे जनता तक पहुंचाना जरूरी है। इससे न केवल जनता में प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ता है, बल्कि लोग शांति बनाए रखने के लिए प्रेरित होते हैं।
दंगे जैसी परिस्थितियों में पत्रकारों की सामाजिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी उनके पेशे की वास्तविक परीक्षा होती है। उनकी रिपोर्टिंग से न केवल समाज को सही दिशा मिलती है, बल्कि स्थिति को शांति और संवाद के माध्यम से सुधारने में भी मदद मिलती है।
इसलिए यह अनिवार्य है कि पत्रकार अपनी भूमिका को केवल सूचना देने तक सीमित न रखें, बल्कि समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को भी गहराई से समझें और उसे निभाएं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."