इरफान अली लारी की रिपोर्ट
देवरिया, जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे फसल कटाई के बाद खेतों में बचे फसल अवशेष, विशेषकर पराली, को न जलाएं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से न केवल खेतों की उर्वरकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह वातावरण को भी गंभीर रूप से प्रदूषित करता है। इसके अलावा, पराली से निकलने वाला धुआं इंसानों और पशुओं के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डालता है। पराली जलाने पर सरकार ने जुर्माने का प्रावधान भी किया है, जिसके तहत 2 एकड़ से कम जमीन पर ₹2500, 2 से 5 एकड़ के बीच ₹5000, और 5 एकड़ से अधिक जमीन पर ₹15000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
पराली प्रबंधन के लाभकारी विकल्प
पराली को जलाने से बचने के लिए जिलाधिकारी ने किसानों को वैकल्पिक प्रबंधन के तरीके अपनाने की सलाह दी। किसानों को बायोडीकंपोजर और अन्य कृषि यंत्रों का उपयोग करने का सुझाव दिया गया, ताकि पराली को खाद में परिवर्तित किया जा सके। इसके लिए खेतों में पानी भरकर बायोडीकंपोजर और प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव किया जा सकता है। यह प्रक्रिया पराली को सड़ाकर मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाती है, जिससे गेहूं, चना, मटर, सरसों और अन्य रबी फसलों की बुवाई को प्रोत्साहन मिलता है।
7 एग्रीगेटर एफपीओ पराली की खरीद करेंगे
जिलाधिकारी ने बताया कि जैव ऊर्जा नीति-2022 के तहत जिले में 7 एग्रीगेटर एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) नामित किए गए हैं, जो पराली की खरीद करेंगे। इससे किसानों को आर्थिक लाभ प्राप्त होगा और पराली जलाने से बचने का एक प्रोत्साहन भी मिलेगा। इन एग्रीगेटर एफपीओ से किसान संपर्क कर पराली बेच सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, देसही देवरिया के पूर्वांचल पोल्ट्री प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड, गौरीबाजार के मशरूम प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड, और पथरदेवा के जानकीनाथ कृष्णनन्दन फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड जैसे संगठन किसानों से पराली खरीदने के लिए उपलब्ध हैं।
सैटेलाइट और विशेष टीमें करेंगी निगरानी
जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि सैटेलाइट की मदद से खेतों की निगरानी की जाएगी। अगर किसी क्षेत्र में पराली जलाने की घटना पाई जाती है, तो कृषि और राजस्व विभाग की टीम वहां जांच कर सख्त कार्रवाई करेगी। पराली जलाने पर जुर्माने के अलावा, सरकार ने विशेष टीमें गठित की हैं जो अपने-अपने क्षेत्रों में लगातार निरीक्षण करेंगी। किसानों को पराली जलाने की बजाय इसके प्रबंधन की सलाह दी गई है, ताकि वे पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकें और मिट्टी की उर्वरकता बनाए रख सकें।
किसानों को इन उपायों को अपनाकर पराली जलाने से बचने की दिशा में सक्रिय योगदान देना चाहिए, जिससे न केवल वे खुद को जुर्माने से बचा सकेंगे बल्कि पर्यावरण और अपनी जमीन की गुणवत्ता को भी बनाए रख सकेंगे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."