कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बीघापुर कोतवाली क्षेत्र के रानीपुर गाँव में मंदिर निर्माण को लेकर बढ़ते तनाव ने नया मोड़ लिया है।
रानीपुर गाँव, जहाँ मुस्लिम समुदाय का बहुमत है, इस समय मंदिर निर्माण को लेकर विवादों में घिरा हुआ है। गाँव में लगभग 130 मुस्लिम परिवार और मात्र 30 हिंदू परिवार रहते हैं। यहाँ की मुस्लिम महिलाओं ने मंदिर की छत ढलने का खुलकर विरोध किया है और इसे लेकर प्रदर्शन किया है। उनका कहना है कि मंदिर की घंटियों की आवाज से उन्हें परेशानी होगी और इस कारण वे मंदिर का निर्माण नहीं होने देंगी।
मंदिर का निर्माण एक हिंदू परिवार की पहल थी, जिन्होंने गाँव में शिव मंदिर के चबूतरे पर छत डालने का संकल्प लिया था। लेकिन लगातार दबाव और उत्पीड़न के चलते यह परिवार अब उन्नाव से लखनऊ चला गया है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उनका लखनऊ जाना स्थायी है या वे केवल कुछ समय के लिए वहाँ गए हैं।
मंदिर का विरोध करने वाली मुस्लिम महिलाओं के बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जहाँ उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि मंदिर की घंटियों से उन्हें दिक्कत होगी। इन विरोध के कारण गाँव में माहौल तनावपूर्ण है, और प्रशासन के सामने चुनौती यह है कि इस मामले को कैसे शांतिपूर्वक सुलझाया जाए।
प्रशासनिक अधिकारियों ने अब तक विवादित जमीन की पैमाइश करवाई है और पाया है कि मंदिर का चबूतरा आबादी की जमीन पर स्थित है, जिससे कोई कानूनी समस्या नहीं है। हालाँकि, प्रशासन का कहना है कि मंदिर की छत ढलने के लिए अनुमति नहीं ली गई थी, लेकिन अगर अनुमति ली जाती है तो मंदिर निर्माण को रोका नहीं जा सकेगा।
पुलिस प्रशासन इस विवाद को हल्के में लेते हुए इसे दबाने की कोशिश कर रहा है। एसडीएम और एएसपी दोनों का कहना है कि किसी भी प्रकार की अनुमति लेने का प्रयास नहीं किया गया है, जबकि पुलिस का कहना है कि वे मामले की निगरानी कर रहे हैं।
उन्नाव पुलिस ने बताया कि इस मामले को लेकर लगभग 15 दिन पहले से पुलिस के पास जानकारी है, और 32 लोगों पर पाबंदी लगाई गई है, जिनमें से 26 मुस्लिम और 6 हिंदू हैं।
इस बीच, गाँव के पुराने शिव मंदिर, जो लगभग 70 साल पुराना है, के चबूतरे पर हिंदू समुदाय के लोग अपने धार्मिक कार्य संपन्न करते हैं। हालांकि, अब इस चबूतरे पर छत डालने को लेकर विवाद छिड़ गया है।
कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों का कहना है कि मंदिर से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर एक मस्जिद है, और मंदिर की घंटियों से उनकी नमाज में विघ्न पड़ेगा।
इस विवाद के परिणामस्वरूप सबसे पहले सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता उस परिवार की है, जो दबाव और उत्पीड़न के कारण अपना गाँव छोड़कर लखनऊ जाने को मजबूर हुआ है।
आने वाला समय बताएगा कि क्या प्रशासन और पुलिस स्थिति को सुलझा पाते हैं, और क्या इस मंदिर का निर्माण संभव हो सकेगा या कट्टरपंथियों का विरोध जारी रहेगा।
Author: News Desk
Kamlesh Kumar Chaudhary