कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के कानपुर में करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले एक साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। यह गिरोह भोपाल से गिरफ्तार किए गए है, जिसमें तीन बैंक कर्मी भी शामिल हैं। गिरोह के सदस्य लोगों को व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से जोड़कर टेलीग्राम पर निवेश का झांसा देकर ठगी करते थे। हाल ही में एक सैन्य अधिकारी विनोद कुमार से 1.78 करोड़ रुपये की ठगी के मामले के बाद यह गिरोह पुलिस के निशाने पर आया।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने साइबर सेल की टीम द्वारा जानकारी प्राप्त करने के बाद भोपाल में छापेमारी की और चार ठगों को गिरफ्तार किया। इन चारों ठगों को कानपुर लाया गया है और उन्हें जेल भेज दिया गया है। पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है। पकड़े गए आरोपियों में से एक रोहित सोनी है, जो ओबीसी जनकल्याण संघ समिति का जिला अध्यक्ष है, जबकि अन्य आरोपी बैंक में लोन रिकवरी एजेंट, सेल्स रिप्रेजेंटेटिव और बैंक क्लर्क हैं।
साइबर ठगी का तरीका
यह गिरोह शेयर मार्केट और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का झांसा देकर लोगों को ठगी का शिकार बनाता था। उन्होंने एक एप के जरिए कानपुर में कई लोगों को ठगी का शिकार बनाया, जिसमें वे 1000 रुपये के शेयर में 400 से 500 फीसदी मुनाफा होने का दावा करते थे। ठग सोशल मीडिया से लोगों के मोबाइल नंबर जुटाते और उन्हें फर्जी ट्रेनिंग व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ देते थे। शुरुआत में वे थोड़े पैसे मुनाफे के नाम पर देते थे, जिससे लोग प्रभावित होकर अधिक पैसे निवेश करने लगते थे। इसके बाद उन्हें टेलीग्राम ग्रुप में शामिल किया जाता था, जहां ठगी का खेल चलता था।
गिरोह का नेटवर्क
इस गिरोह का नेटवर्क 20 राज्यों में फैला हुआ है, जिसमें यूपी के अलावा अन्य राज्यों जैसे आगरा, लखनऊ, दिल्ली, और महाराष्ट्र शामिल हैं। अब तक साइबर ठगों के खिलाफ 238 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं और 500 से अधिक लोग ठगी का शिकार बन चुके हैं। मुंबई पुलिस भी बी-वारंट के जरिए इन ठगों को कानपुर से मुंबई ले जाने की तैयारी में है, जिससे अन्य मामलों का भी खुलासा हो सकता है।
बरामद की गई सामग्री
पुलिस ने आरोपियों के पास से 15 मोबाइल फोन, लैपटॉप, स्मार्ट वॉच, एटीएम स्वाइप मशीन, हार्ड डिस्क, राउटर और अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। यह सभी सामान इस गिरोह की ठगी के संचालन में प्रयोग किए जाते थे।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि यह गिरोह चीन, दुबई और आर्मेनिया से संचालित हो रहा था। पकड़े गए आरोपियों ने अपने ठगी के पैसे को टेलीग्राम के जरिए क्रिप्टो करेंसी में स्थानांतरित किया। इस गिरोह ने पिछले महीने में ही 15 करोड़ रुपये का लेनदेन किया है और अब तक 50 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता लगाया गया है।
कानपुर में हुए इस साइबर ठगी के मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि ठगों का नेटवर्क कितनी तेजी से फैल सकता है और किस प्रकार वे तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों को निशाना बनाते हैं। पुलिस की जांच जारी है और उम्मीद की जा रही है कि इससे और ठगी के मामलों का खुलासा होगा।
Author: samachar
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