हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के सक्ति ज़िले के छपोरा गांव में एक आश्चर्यजनक धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यहां कुछ समय पहले ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ के नाम से एक फर्जी बैंक शाखा खोली गई, जिसने न केवल गांववासियों को बल्कि बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों को भी धोखा दिया।
गांव की ज्योति यादव, जो इस बैंक में काम कर रही थीं, को भी यकीन नहीं हो रहा कि जिस बैंक में वह नौकरी कर रही थीं, वह वास्तव में कोई असली बैंक नहीं था। पिछले सप्ताह जब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने पुलिस के साथ इस कथित शाखा पर छापा मारा, तब जाकर यह खुलासा हुआ कि यह बैंक और इसके सभी दस्तावेज़ जैसे नियुक्ति पत्र, कर्मचारियों के पहचान पत्र, और बैंक के बोर्ड, सब कुछ फर्जी था।
छपोरा गांव रायपुर से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित है, और यहां के लोग इस घटना से बेहद हैरान हैं। पुलिस ने अनिल भास्कर नाम के व्यक्ति को इस फर्जीवाड़े के मामले में गिरफ़्तार किया है, जबकि उसके आठ सहयोगियों की तलाश जारी है।
यह फर्जी बैंक 18 सितंबर को खोला गया था, और इसमें छह लोग काम कर रहे थे। इन्हें नियुक्ति पत्र भी दिए गए थे, जो बाद में फर्जी निकले। इस शाखा के खुलने से गांव के लोग खुश थे, क्योंकि उन्हें लगा कि अब बैंक से जुड़े कामों के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन उनकी यह खुशी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी जब स्थानीय पुलिस के साथ इस शाखा में पहुंचे, तो बैंक का मैनेजर पंकज साहू फरार हो चुका था। पुलिस की जांच के अनुसार, अनिल भास्कर ने नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से 6,60,000 रुपये की ठगी की थी। उसने इस रकम से एक सेकंड हैंड कार भी खरीदी थी। पुलिस को यह भी पता चला कि अनिल के खिलाफ पहले भी रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी का मामला दर्ज है।
इस फर्जी बैंक में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी आर्थिक रूप से कमजोर घरों से आते हैं, और कुछ ने यह भी खुलासा किया कि उनसे नौकरी के बदले रिश्वत ली गई थी। ज्योति यादव, जो इस कथित बैंक में काम कर रही थीं, ने बताया कि उनसे ढाई लाख रुपये लिए गए थे, जिसके बदले उन्हें नियुक्ति पत्र और प्रशिक्षण का वादा किया गया था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह किसी बड़े धोखे का शिकार हो रही हैं।
यह घटना स्थानीय निवासियों के लिए एक बड़ा झटका है और पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।
Author: samachar
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