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December 10, 2024 4:21 am

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रामलीला में किसी ने हनुमान के किरदार में तोड़ा दम तो किसी को राम के किरदार में मिली मुक्ति, संभलने का मौका कहाँ देती है ये मौत… 

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

दिल्ली के शाहदरा में रामलीला के दौरान घटी एक दुखद घटना ने लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है। 56 वर्षीय सुशील कौशिक, जो पिछले 35 वर्षों से भगवान राम की भूमिका निभा रहे थे, की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। यह घटना उस समय हुई जब सुशील रामलीला के मंच पर सीता के स्वयंवर के दृश्य का मंचन कर रहे थे। जैसे ही उन्हें धनुष तोड़ना था, वे अचानक सीने में दर्द महसूस करने लगे और मंच के पीछे चले गए, जहां उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। हालांकि, डॉक्टरों ने उन्हें एक घंटे बाद मृत घोषित कर दिया।

सुशील कौशिक पेशे से प्रॉपर्टी डीलर थे और वे ‘जय श्री रामलीला समिति’ से जुड़े हुए थे। उनके परिवार के सदस्य राहुल कौशिक ने इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें यह दिखाया गया कि सुशील मंच पर अपने किरदार को निभाते हुए अचानक गिर पड़े। राहुल ने बताया कि सुशील न केवल भगवान राम की भूमिका निभाते थे, बल्कि गायन में भी निपुण थे।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सुशील की मौत का कारण कोविड-19 के टीके से जुड़ा हो सकता है। भारद्वाज ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारत में टीकाकरण के बाद इस तरह के दिल के दौरे के मामलों में वृद्धि देखी गई है। हालांकि, अभी तक इस घटना के पीछे की वास्तविक चिकित्सा स्थिति पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

यह पहली बार नहीं है जब मंच पर किरदार निभाते हुए किसी कलाकार की मौत हुई हो। इसी वर्ष जनवरी में हरियाणा के भिवानी में हनुमान जी का किरदार निभाने वाले हरीश मेहता की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। हरीश पिछले 25 वर्षों से रामलीला में हनुमान जी की भूमिका निभा रहे थे। इस दुखद घटना ने कलाकारों और उनके परिवारों के बीच गहरी चिंता पैदा कर दी है।

दिल का दौरा पड़ने से हुई मौतों की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में गुजरात के वलसाड में एक मां की भी अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी, जब वह अपने 5 साल के बेटे की जन्मदिन की पार्टी मना रही थीं। खुशी के माहौल में अचानक हुए इस हादसे ने पूरे परिवार को गमगीन कर दिया।

इन घटनाओं ने यह स्पष्ट किया है कि जीवन की अनिश्चितता कितनी भयावह हो सकती है।

चाहे वह मंच पर अभिनय कर रहे कलाकार हों या पारिवारिक समारोह में शामिल व्यक्ति, किसी भी क्षण जीवन का अंत हो सकता है, और यह विचार हमें जीवन की क्षणभंगुरता का अहसास कराता है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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