कमलेश कुमार चौधरी
लखनऊ की सरोजिनी नगर तहसील के बन्थरा क्षेत्र में अवैध मिट्टी खनन का कारोबार प्रशासन की निगरानी में तेजी से फल-फूल रहा है। बिना किसी आधिकारिक अनुमति के मिट्टी से लदे डंपर तेज रफ्तार से दौड़ रहे हैं, जिससे हादसों का खतरा बढ़ता जा रहा है।
आज, 6 अक्टूबर 2024 को, शाम 5 बजे बन्थरा थाना क्षेत्र के जुनाबगंज से मोहनलालगंज रोड पर कुटिया स्थित भारत पेट्रोलियम के पास अवैध मिट्टी भराई का काम चल रहा था। यहां, मिट्टी से लदे डंपरों की तेज गति के कारण एक बड़ा हादसा होते-होते टला, जब दो मोटरसाइकिल सवार बाल-बाल बच गए। अगर वे संतुलन खो देते, तो एक भयंकर दुर्घटना हो सकती थी।
बन्थरा क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों से अवैध मिट्टी खनन का काम बदस्तूर जारी है, लेकिन प्रशासन की तरफ से इस पर कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए। जब भी संबंधित अधिकारियों से शिकायत की जाती है, वे पीएनसी कंपनी का नाम लेकर मामले से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। वहीं, पुलिस प्रशासन खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने से कतराता है।
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क्षेत्र के बाहुबली लोग, जिनकी स्थानीय थानों में मजबूत पकड़ है, अवैध खनन के कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं। वे समय पर पुलिस और प्रशासन को सुविधा शुल्क पहुंचाकर अपना काम सुचारू रूप से चला रहे हैं। इसके चलते निजी वेयरहाउस, प्लांट और फैक्ट्रियों में बिना किसी परमिशन के धड़ल्ले से मिट्टी भराई का काम हो रहा है।
डंपरों के ड्राइवरों द्वारा जानबूझकर डंपरों की नंबर प्लेट हटाई जा रही हैं, ताकि किसी भी दुर्घटना के दौरान वाहन की पहचान न की जा सके। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग इन डंपरों के कारण अपने घर से बाहर निकलने में भी डरते हैं। अवैध खनन और तेज रफ्तार डंपरों के कारण गांव की सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिससे ग्रामीणों का जीवन दूभर हो गया है।
योगी सरकार के तहत उच्चाधिकारियों और संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों ने इस गंभीर समस्या की ओर से आंखें मूंद रखी हैं। अवैध मिट्टी खनन से न केवल सड़कों और पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकार को भी करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है। अगर किसी ईमानदार अधिकारी से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो कई ग्राम प्रधान और राजस्व विभाग के अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे नजर आएंगे।
वर्तमान स्थिति में, ग्रामीण इस अन्याय को चुपचाप सहने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उनके पास और कोई विकल्प नहीं है।
अवैध खनन माफियाओं के आतंक के बीच, ग्रामीणों की आवाज दबकर रह गई है, और वे इस उत्पीड़न का विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."