कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। लोकसभा चुनाव के बाद अब सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की नजरें 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं। बीजेपी, समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस समेत सभी दल अभी से चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाली योगी आदित्यनाथ सरकार, जिसने 2022 में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की, अब 2027 में जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रही है।
इस बीच, योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर का एक बयान सुर्खियों में है, जिसमें उन्होंने विधानसभा चुनाव के समय को लेकर अहम दावा किया है। राजभर ने कहा कि अगर “वन नेशन वन इलेक्शन” (एक राष्ट्र, एक चुनाव) की योजना कैबिनेट से पास हो जाती है, तो विधानसभा चुनाव 2027 के बजाय 2029 में हो सकता है, जिससे चुनाव दो साल के लिए बढ़ जाएगा।
उन्होंने विपक्षी दलों पर भी तंज कसा और कहा कि 2019, 2022 और 2024 के चुनावों में विपक्ष सरकार बनाने का सपना देखता रहा, लेकिन नतीजों के बाद सब कुछ उलट जाता है। राजभर ने विपक्षी दलों को नसीहत देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृहमंत्री अमित शाह के रहते हुए विपक्षी दलों को 20 साल तक इंतजार करना पड़ेगा।
राजभर ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर भी हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा मुसलमानों और पिछड़ी जातियों से वोट तो लेती है, लेकिन मुख्यमंत्री केवल यादव समुदाय से बनाती है। उन्होंने सवाल उठाया कि सपा ने कभी भी मुसलमान, भर, केवट या मल्लाह जातियों के नेताओं को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया। इसके अलावा, राजभर ने सपा पर भ्रष्टाचार और लूटपाट का आरोप भी लगाया, जिससे पार्टी अब परेशानी में है।
उपचुनावों को लेकर राजभर ने कहा कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने झूठ बोलकर वोट हासिल किए थे, लेकिन अब उपचुनाव में जनता को सच्चाई का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कांग्रेस और सपा दोनों पर संविधान का पालन न करने के आरोप लगाए और सपा पर अनुसूचित जाति के प्रमोशन में आरक्षण को खत्म करने का आरोप भी लगाया।
वर्तमान में, एनडीए के सभी सहयोगी दल अपने-अपने स्तर पर चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं। राजभर का बयान राजनीतिक दलों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, खासकर उन दलों के लिए जो 2027 के विधानसभा चुनाव पर नजर गड़ाए हुए हैं।
Author: samachar
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