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December 2, 2024 9:35 pm

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विनाशकारी पानी की जद में अब तक 148 मौत, बर्बादी का प्राकृतिक प्रकोप से भयभीत हैं लोग, राहत निरंतर जारी

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मिश्री लाल कोरी की रिपोर्ट

नेपाल में बारिश के कारण बाढ़ और मधुमेह से मरने वालों की संख्या रविवार को 148 हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। काठमांडू घाटी में सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई है। कम से कम 322 मकान और 16 पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सुरक्षा कर्मियों ने करीब 3,626 लोगों को रोजगार दिया। स्क्वाड्रन ने बताया कि बचाव अभियान अब भी जारी है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्होंने काठमांडू घाटी में पिछले 40-45 वर्षों में इतनी विनाशकारी बाढ़ का आकलन नहीं किया था। सशस्त्र पुलिस बल ने एक बयान में कहा कि मृतकों की संख्या 125 हो गई है।

काठमांडू के पास स्थित धाडिंग जिले में शनिवार को एक बस के निशानों की चपेट में आने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई। भक्तपुर शहर में एक मकान में घुसकर पांच लोगों की मौत हो गई।

मकवानपुर में ‘ऑल इंडिया नेपाल एसोसिएशन’ द्वारा संचालित एक प्रशिक्षण केंद्र में इल्ज़ाम की घटना में छह फुटबॉल खिलाड़ियों की जान चली गई और अन्य लोग बाढ़ के पानी में बह गए। मंगलवार तक बारिश जारी रहने के अनुमान के बावजूद रविवार को थोड़ी राहत मिली।

‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलेपमेंट’ (सामरिक इमेजोडी) में जलवायु और पर्यावरण विशेषज्ञ अरुण भक्ता श्रेष्ठ ने कहा, ”मैं काठमांडू में पहले कभी बड़े पैमाने पर प्लास्टिक के अवशेषों का आकलन नहीं करता था।”

आईसीआईआईडी द्वारा शनिवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि काठमांडू की मुख्य बागमती शुक्रवार और शनिवार को पूर्वी और मध्य नेपाल में मूसलाधार के बाद खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

कहा कि बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की स्थिति और आपदा की स्थिति के कारण शनिवार को अचानक तेज बारिश हुई।

पृथ्वी का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे एशिया में वर्षा की मात्रा और समय में परिवर्तन आ रहा है।

बाढ़ और गंदगी के कारण नेपाल के कई विचारधाराओं में जनजीवन पोर्टल हो गया है।नेपाल की बाढ़ प्रभावित राजधानी के निवासी रविवार को अपने मिट्टी से सने घरों में वापस लौटे और विनाशकारी बाढ़ के मलबे का सर्वेक्षण किया, जिसमें हिमालयी गणराज्य में कम से कम 148 लोग मारे गए हैं।

जून से सितंबर तक मानसून के मौसम में दक्षिण एशिया में घातक बारिश से संबंधित बाढ़ और भूस्खलन आम बात है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से इनकी आवृत्ति और गंभीरता बढ़ रही है।

सप्ताहांत में काठमांडू के पूरे इलाके जलमग्न हो गए, राजधानी से होकर बहने वाली नदियों में अचानक बाढ़ आ गई और शहर को नेपाल के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले राजमार्गों को भारी नुकसान पहुंचा।

नदी किनारे झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में रहने वाले कुमार तमांग ने एएफपी को बताया कि उन्हें और उनके परिवार को शनिवार आधी रात के बाद भागना पड़ा क्योंकि पानी उनकी झोंपड़ी में घुस गया था।

काठमांडू के एक इलाके में रहने वाले तमांग ने कहा कि उन्हें बचने के लिए अपने घरों की छत काटनी पड़ी।

श्रेष्ठ ने एएफपी को बताया, “हम एक छत से दूसरी छत पर कूदकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचे और आखिरकार वे हमें बचाने के लिए नावों के साथ आए।” बचाव कार्य में सहायता के लिए हेलीकॉप्टर और मोटरबोट के साथ 3,000 से अधिक सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था। बचाव दल बचे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए राफ्ट का उपयोग कर रहे थे।

शुक्रवार शाम से मौसम के कारण पूरी तरह से बंद होने के बाद रविवार सुबह तक काठमांडू से घरेलू उड़ानें फिर से शुरू हो गईं, जबकि 150 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गईं।

कई राजमार्ग और सड़कें अवरुद्ध हैं, सैकड़ों मकान और पुल बह गए हैं और सैकड़ों परिवार सड़कें बंद हो गई हैं। सड़क अवरूद्ध होने के कारण विभिन्न स्थानों पर हजारों यात्री आये हुए हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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