चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
गाजियाबाद से एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है, जहां उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक झटका लगा है। पार्टी के प्रदेश सचिव परमानन्द गर्ग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
परमानन्द गर्ग का इस्तीफा: कारण और प्रतिक्रिया
परमानन्द गर्ग ने अपने इस्तीफे का मुख्य कारण समाजवादी पार्टी द्वारा वैश्य समाज की अनदेखी को बताया है। उन्होंने यह आरोप लगाया कि सपा ने गाजियाबाद नगर निगम के महापौर पद के लिए उनकी पत्नी नीलम गर्ग को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन अचानक उन्हें बदल दिया गया। यह घटनाक्रम उनके लिए बेहद निराशाजनक था, जिसने उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया।
गाजियाबाद सीट का भविष्य
गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच सीट के बंटवारे को लेकर चर्चा चल रही है। इस बार गाजियाबाद सीट कांग्रेस के हिस्से में आने की संभावना है। दरअसल, परमानन्द गर्ग, जो कांग्रेस छोड़कर 2022 में सपा में शामिल हुए थे, को पार्टी में प्रदेश सचिव का पद दिया गया था। भाजपा विधायक अतुल गर्ग के लोकसभा चुनाव में सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है।
उत्तर प्रदेश में कुल 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसमें गाजियाबाद भी शामिल है। सभी राजनीतिक दलों, भाजपा, कांग्रेस, और सपा, ने इस उपचुनाव के लिए तैयारियों में जुट गए हैं।
गर्ग का सपा में योगदान और उसकी राजनीति
परमानन्द गर्ग ने कहा कि उन्होंने सपा में शामिल होने के बाद पार्टी की सच्चे सिपाही की तरह सेवा की। उनका उद्देश्य वैश्य समाज की आवाज बनना था, लेकिन उन्होंने महसूस किया कि पार्टी में कुछ विशेष वर्गों का ही बोलबाला है। इस अनदेखी ने उन्हें कुंठित किया, जिसके चलते उन्होंने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया।
फैसल हुसैन की टिप्पणी
सपा के जिलाध्यक्ष फैसल हुसैन ने भी इस घटनाक्रम पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि परमानन्द गर्ग का पार्टी से कोई विशेष संबंध नहीं रह गया था। चुनाव लड़ने के लिए अब वह दूसरी पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं, जो इस बात को दर्शाता है कि सपा के भीतर उनके लिए कोई संभावनाएं नहीं थीं।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट होता है कि सपा के भीतर असंतोष बढ़ रहा है, जो आगामी उपचुनाव में पार्टी की स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
Author: samachar
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