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November 22, 2024 12:04 am

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में तिरुपति प्रसाद विवाद : सपा-भाजपा नेताओं में तीखी बयानबाजी

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की राजनीति में अब तिरुपति मंदिर के प्रसाद को लेकर शुरू हुआ विवाद तेजी से तूल पकड़ रहा है। तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद से जुड़ी मिलावट के मुद्दे पर पूरे राज्य में बहस छिड़ी हुई है, और इस विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है। 

इस विवाद पर सपा नेता और मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने तीखे बयान दिए हैं, जिससे सियासत में हलचल मच गई है। 

इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के मेरठ कैंट से विधायक अमित अग्रवाल ने भी कड़ा पलटवार करते हुए दोनों नेताओं पर निशाना साधा है।

बीजेपी विधायक का तीखा हमला

बीजेपी विधायक अमित अग्रवाल ने डिंपल यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य का “सेंटर हिल गया है,” इसलिए वह इस तरह के बयान दे रहे हैं। अमित अग्रवाल ने मौर्य को हिंदुओं का सबसे बड़ा दुश्मन बताया और कहा कि उन्हें अनाप-शनाप बोलने की आदत हो गई है। 

स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंदिरों के बाहर बिकने वाले प्रसाद के लिए पंडित और पुजारियों को जिम्मेदार ठहराया था, जिस पर बीजेपी विधायक ने तीखा पलटवार किया। 

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि प्रसाद बनाने का काम मंदिर के पुजारियों या पंडितों का नहीं है, बल्कि यह बाहर तैयार होता है और भक्त इसे खरीदकर मंदिर में चढ़ाते हैं। विधायक ने मौर्य को हिंदू धर्म का दुश्मन करार देते हुए कहा कि वे विषाक्त मानसिकता रखते हैं।

डिंपल यादव पर भी निशाना

डिंपल यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अमित अग्रवाल ने कहा कि मथुरा और वृंदावन में प्रसाद तैयार करने का काम आम जनता नहीं करती। वहां के दूध उत्पादक और सप्लायर खोया और अन्य सामग्री उपलब्ध कराते हैं, जिससे प्रसाद बनता है। 

उन्होंने आरोप लगाया कि डिंपल यादव ने मथुरा-वृंदावन के प्रसाद में मिलावट की शिकायतें उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश की थी, जबकि यादव वंश के लोग ही खोया बनाने का काम करते हैं। 

उन्होंने कहा कि डिंपल यादव अपनी ही जाति पर आरोप लगा रही हैं, क्योंकि खोया बनाने का काम यादव समुदाय के लोग ही करते हैं।

तिरुपति लड्डू विवाद

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद में मिलावट के विवाद पर भी अमित अग्रवाल ने आंध्र प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि 350 रुपये में असली घी कैसे उपलब्ध कराया जा सकता है, यह सोचने वाली बात है। 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मामले में अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती और टेंडर देते समय इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए था। उन्होंने इसे सनातन धर्म को दूषित करने की एक राजनीतिक साजिश करार दिया और मांग की कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

इस पूरे प्रसाद विवाद ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। बीजेपी और विपक्ष के नेताओं के बीच बयानबाजी तेज हो गई है, और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी बड़ा रूप ले सकता है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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