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November 1, 2024 4:03 pm

आजमगढ़ महोत्सव ; अल्ताफ रजा का “आवारा हवा का झोंका” ने सबको झुमाया, तो दूसरी ओर प्रेमचंद्र की “बूढ़ी काकी” ने भी तारीफें भरपूर बटोरीं

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जगदम्बा उपाध्याय की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आजमगढ़ महोत्सव-2024 का भव्य उद्घाटन किया। 

यह महोत्सव राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज में आयोजित किया गया और मंत्री ने सभी जनपद वासियों से अपील की कि वे इस महोत्सव का पूरा आनंद लें और इसे सफल बनाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि आजमगढ़ की कला, संस्कृति और इतिहास को प्रदर्शित करने के लिए यह महोत्सव एक महत्वपूर्ण मंच है।

मंत्री ने महोत्सव के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि यह स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करता है। 

उन्होंने भाग लेने वाले सभी कलाकारों का आभार प्रकट किया और जिला प्रशासन को आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं।

जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने बताया कि यह महोत्सव आजमगढ़ स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है और यह 18 से 22 सितंबर 2024 तक चलेगा। 

महोत्सव में विभिन्न कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे, जिनमें देश और प्रदेश की संस्कृति, धरोहर और कला को प्रदर्शित किया जाएगा।

महोत्सव के तीसरे दिन मशहूर गायक अल्ताफ राजा ने अपनी प्रस्तुति देकर दर्शकों का दिल जीत लिया। 

उनके गाने “आवारा हवा का झोंका हूं” ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके पहले, स्कूल के बच्चों और अन्य कलाकारों ने समूह नृत्य, गायन और एकांकी प्रस्तुतियां दीं, जो सभी को बेहद पसंद आईं।

इंडिया गॉट टैलेंट फेम ब्रदर्स बांड डांस ग्रुप ने भी अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। सभी कलाकारों को अंगवस्त्र और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में जनपद न्यायाधीश संजीव शुक्ला समेत अन्य कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

महोत्सव के दौरान हरिऔध कला केंद्र में मुंशी प्रेमचंद की कहानी “बूढ़ी काकी” का मंचन भी हुआ, जिसमें विधवा बूढ़ी काकी की कहानी को दर्शाया गया। यह नाटक दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में सफल रहा और इसका सुखद अंत हुआ।

इस प्रकार, आजमगढ़ महोत्सव-2024 न केवल स्थानीय संस्कृति और कला को प्रमोट करने का एक बड़ा आयोजन है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहां हर किसी को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."