ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में कथित तौर पर जानवर की चर्बी की मिलावट को लेकर देश भर के संतों और धार्मिक समुदायों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भी इस मुद्दे पर अपना विरोध प्रकट किया है और इसे अत्यंत निंदनीय बताया है।
उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें आना बेहद दुखद है और इसे आत्मा का वध करने जैसा माना जा सकता है। यह समझ से परे है कि आज़ाद भारत में कोई सनातन धर्म के अनुयायियों की आस्थाओं के साथ ऐसा खिलवाड़ कर सकता है, खासकर उस देश में जहां सनातन धर्म के अनुयायियों की बहुलता है।
देवकीनंदन ठाकुर ने भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वे इस मामले की गहन जांच करें और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।
उन्होंने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है, लेकिन ऐसी मिलावट की खबरें आना बहुत ही चिंता का विषय है। यदि यह आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक बड़ा आघात होगा।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संविधान में सभी को अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा करने का अधिकार है, लेकिन यदि धार्मिक स्थलों पर इस प्रकार की मिलावट की जाती है, तो यह अस्वीकार्य है।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह संभव है कि राज्य सरकार या कोई अन्य संस्था धार्मिक स्थानों पर ऐसे कृत्य करने का अधिकार रखती है?
देवकीनंदन ठाकुर ने यह भी कहा कि लगातार ऐसी घटनाओं की खबरें मिल रही हैं, जिनमें भोजन में थूकने, जूस में मूत्र मिलाने और अब प्रसाद में मांस या चर्बी जैसी मिलावट की बातें सामने आ रही हैं। उन्होंने पूछा कि ऐसे में सनातनी कैसे चुप रह सकते हैं?
अंत में, उन्होंने भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट से यह अपील की कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई की जाए कि भविष्य में कोई और इस प्रकार की हरकत करने की हिम्मत न कर सके। उन्होंने कहा कि यह सरकार और न्यायालय की जिम्मेदारी है कि वे सनातन धर्म के अनुयायियों की आस्था और विश्वास की रक्षा करें।
Author: samachar
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