ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
भारत में ट्रेन टेररिज्म की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, और इसके पीछे आतंकवादी संगठन और स्लीपर सेल सक्रिय होते दिख रहे हैं। हाल ही की घटना 8 सितंबर को प्रयागराज से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस के साथ कानपुर के शिवराजपुर के पास हुई। ट्रेन पटरियों पर रखे एक सिलेंडर से टकराई, जिससे सिलेंडर उछलकर झाड़ियों में जा गिरा। जांच में पाया गया कि यह एक आतंकी साजिश का हिस्सा हो सकता है, क्योंकि मौके से पेट्रोल की बोतल, बारूद जैसा केमिकल और माचिस बरामद हुई।
घटना की जांच में NIA सहित कई एजेंसियां शामिल हो गई हैं। इस घटना को सिर्फ एक हादसे के रूप में नहीं देखा जा रहा है, बल्कि इसे एक बड़े आतंकी षड्यंत्र का हिस्सा माना जा रहा है। जांच एजेंसियों का मानना है कि पिछले 55 दिनों में 18 बार ट्रेनों को डिरेल करने की कोशिश की गई है। सरकार ने NIA को ऐसी 24 घटनाओं की पुनः जांच का आदेश दिया है।
इस आतंकी साजिश के पीछे इस्लामिक स्टेट के खुरासान मॉड्यूल और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का हाथ होने का संदेह है। पाकिस्तान में बैठा आतंकी फरहतुल्ला गौरी इस साजिश का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। उसने टेलीग्राम पर एक वीडियो जारी कर भारत में ट्रेनों को टारगेट करने के निर्देश दिए थे।
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फरहतुल्ला गौरी भारतीय युवाओं को आतंकी घटनाओं के लिए उकसा रहा है। वह ब्रेनवॉश करके उन्हें आतंकी गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश कर रहा है। हाल के दिनों में हुए ट्रेन हादसों को इसी साजिश का हिस्सा माना जा रहा है। इसमें कानपुर-कासगंज ट्रैक पर हुई घटना और साबरमती एक्सप्रेस का बेपटरी होना भी शामिल है।
जांच एजेंसियों को शक है कि ये घटनाएं एक बड़े आतंकी षड्यंत्र का हिस्सा हैं, और इसमें लोन वुल्फ अटैक के जरिए ट्रेनों को निशाना बनाया जा रहा है। स्लीपर सेल को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है कि किस प्रकार ट्रेनों को डिरेल किया जाए और धमाके किए जाएं।
इस आतंकी नेटवर्क का विस्तार उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार, और अन्य राज्यों में भी देखा गया है। फरहतुल्ला गौरी ने वीडियो में प्रेशर कुकर बम का इस्तेमाल करने के तरीके और पेट्रोल पाइपलाइन को निशाना बनाने के निर्देश भी दिए थे। NIA को आशंका है कि IS-K का नेटवर्क उत्तर-पूर्वी ईरान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान, और उत्तरी अफगानिस्तान में सक्रिय है, और भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है।
भारत सरकार ने इस बढ़ती आतंकी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए रेलवे नेटवर्क की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाने का फैसला किया है। 1.10 लाख किलोमीटर के रेलवे ट्रैक की सुरक्षा के लिए नए प्रोटोकॉल तैयार किए जा रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
प्रयागराज में GRP के एसपी रहे और यूपी पुलिस के रिटायर्ड आईजी कवींद्र प्रताप सिंह बताते हैं, ‘मैंने साल 2018 में अपने कार्यकाल में एक पैटर्न देखा था। इसमें रेल की पटरियों से क्लिप या तो निकाल दी जाती थी या फिर इन्हें तोड़ दिया जाता था। इससे पटरियां ढीली हो जाती थीं। इसके बाद तेजी से आ रही ट्रेन डिरेल हो जाती थी।‘
‘इसी वजह से सिर्फ मेरे ही कार्यकाल में 3 दुर्घटनाएं हुई थीं। हमने इस मामले की जांच करवाई, लेकिन ये साफ नहीं हो सका कि क्लिप खुद टूटी या तोड़ी गई थी।’
कवींद्र प्रताप सिंह आगे बताते हैं, ’इसके अलावा सिग्नल से छेड़छाड़ की भी कुछ घटनाएं हुई थीं। इसमें रेड सिग्नल को ग्रीन कर दिया गया था। ट्रैक के बीच के गैप में लोहे का टुकड़ा लगाकर ट्रेन की टक्कर कराने और पटरी से उतारने की कोशिश की गई। हमने जांच करवाई थी, लेकिन उस समय किसी आतंकी एंगल की पुष्टि नहीं हो पाई थी।’
Author: samachar
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