राकेश सूद की रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जो अवैध और नकली शराब से जुड़ी गतिविधियों में संलिप्त लोगों की संपत्तियों को जब्त करने का प्रावधान लागू कर रहा है। इस कदम का उद्देश्य राज्य में अवैध शराब के कारोबार को रोकना और इस पर कड़ी निगरानी रखना है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम 2011 में संशोधन किया गया है। इस संशोधन के तहत, अब अवैध शराब के कारोबार में शामिल लोगों, उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों की संपत्तियों को भी जब्त किया जा सकता है। यह प्रावधान पहले इस अधिनियम में नहीं था। इसके अतिरिक्त, इन अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती बना दिया गया है, जिससे अपराधियों को सजा देना और भी आसान हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नए कानून में जुर्माने और सजा की अवधि को भी बढ़ाया गया है। विशेष रूप से, नाबालिगों को शराब बेचने और उनके द्वारा शराब बेचने के लिए इस्तेमाल किए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। अपराधियों को छह माह तक की जेल की सजा और 50 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने अवैध शराब के मामलों को प्रभावी तरीके से नियंत्रित करने के लिए प्रवर्तन एजेंसियों को सशक्त करने की बात की। नए प्रावधानों के तहत, आबकारी पुलिस फोर्स का गठन भी किया जाएगा ताकि ऐसे मामलों का शीघ्र निस्तारण किया जा सके। उन्होंने मंडी जिले में वर्ष 2022 में हुई उस घटना का भी उल्लेख किया जहां नकली शराब पीने से आठ लोगों की मौत हो गई थी, और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पूरी सख्ती बरतने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार मादक पदार्थों की तस्करी और उपयोग से निपटने के लिए कई कदम उठा रही है। इसके तहत 1200 से अधिक पुलिस कर्मियों की भर्ती की जाएगी ताकि इन गतिविधियों को और अधिक प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सके।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."