अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग को लेकर चल रही चर्चाएं वर्तमान में राजनीतिक गर्मी का विषय बनी हुई हैं। इस मुद्दे को हाल ही में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने उठाया है, जिन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक अलग राज्य बनाने की मांग की है। हालांकि, उनकी इस मांग पर न सिर्फ विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) बल्कि उनकी अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेता भी विरोध जता रहे हैं।
संगीत सोम का कड़ा विरोध
बालियान की इस मांग का सबसे तीखा विरोध उनकी ही पार्टी के नेता संगीत सोम ने किया है। सोम ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अगर पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाया गया, तो यह क्षेत्र “मिनी पाकिस्तान” बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है और इसका विभाजन खतरनाक हो सकता है। सोम ने इसे बालियान की व्यक्तिगत राय बताते हुए कहा कि यह भाजपा के एजेंडे का हिस्सा नहीं है और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मांग को कभी न मानने की अपील की है।
विपक्ष का भी विरोध
बालियान की इस मांग पर सिर्फ भाजपा ही नहीं, बल्कि समाजवादी पार्टी ने भी विरोध दर्ज कराया है। सपा के विधायक अतुल प्रधान ने कहा कि उत्तर प्रदेश एक बड़ा और प्रभावशाली राज्य है, जिसका दिल्ली में विशेष महत्व है। अगर इसका विभाजन हुआ, तो राज्य की धाक कम हो जाएगी।
प्रधान ने यह भी कहा कि इस बार के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 37 सीटों पर जीत दर्ज की है, जो प्रदेश की शक्ति और राजनीतिक स्थिरता को दर्शाता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और संभावनाएं
उत्तर प्रदेश के विभाजन का मुद्दा समय-समय पर उठता रहा है, लेकिन इस पर विभिन्न राजनीतिक दलों की राय हमेशा से बंटी रही है। इस बार, बालियान की मांग पर आई तीखी प्रतिक्रियाओं से यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश का विभाजन वर्तमान में राजनीतिक असहमति का विषय है।
ऐसे मुद्दे से न सिर्फ क्षेत्रीय संतुलन पर असर पड़ेगा, बल्कि इसका राज्य और देश की राजनीति पर भी दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."