इरफान अली लारी की रिपोर्ट
प्रकाश पांडे, जिसे अंडरवर्ल्ड में ‘डॉन पीपी’ के नाम से जाना जाता था, अब आध्यात्म की राह पर चल पड़ा है। वर्तमान में अल्मोड़ा जेल में बंद पीपी ने हाल ही में संन्यास धारण किया।
गुरुवार को हरिद्वार से आए श्रीपंचदसनांग जूना अखाड़े के थानापतियों ने जेल में उसे विधिवत दीक्षा दी और उसे कई धार्मिक मठों का उत्तराधिकारी घोषित किया। अब उसका नया नाम ‘प्रकाशानंद गिरी’ रखा गया है। भविष्य में पीपी को पैरोल पर छोड़कर जलाभिषेक के बाद ‘मंडलेश्वर’ की उपाधि देने का ऐलान भी किया गया है।
दीक्षा समारोह के बाद श्रीपंचदसनांग जूना अखाड़े के थानापति राजेंद्र गिरी ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि प्रकाश पांडे उर्फ पीपी ने आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश की इच्छा व्यक्त की थी।
विश्व हिंदू परिषद के कृष्णा काण्डपाल के माध्यम से यह प्रस्ताव उनके पास पहुंचा था। हालांकि, जेल प्रशासन ने कोई बड़ा धार्मिक अनुष्ठान करने की अनुमति नहीं दी, लेकिन अखाड़े के पंचमणियों ने पीपी को कंठी माला, रुद्राक्ष माला और धार्मिक वस्त्र देकर उसे उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
प्रकाशानंद गिरी को मुनस्यारी के कामद मठ, गंगोलीहाट के लमकेश्वर मठ, यमुनोत्री के भैरव और भद्रकाली मंदिर समेत कई अन्य धार्मिक स्थानों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
दीक्षा समारोह के दौरान केवल तीन लोगों को जेल के भीतर जाने की अनुमति मिली थी। बताया जा रहा है कि अगले साल प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले के दौरान पीपी को और आधिकारिक रूप से धार्मिक पदवी दी जाएगी।
प्रकाश पांडे उर्फ पीपी कभी अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का दाहिना हाथ माना जाता था। किशोरावस्था से ही वह अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था और कुमाऊं क्षेत्र में अवैध शराब और लीसे की तस्करी से लेकर कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल था।
1990 के दशक में पीपी ने मुंबई की ओर रुख किया और छोटा राजन के गैंग में शामिल होकर एक राजनीतिक हत्या कर अपराध जगत में अपनी पहचान बनाई। इसके बाद पीपी ने फिरौती, अपहरण, हत्या जैसी कई वारदातों को अंजाम दिया और मुंबई में एक खौफनाक नाम बन गया।
पीपी ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की हत्या की सुपारी भी ली थी और इसके लिए पाकिस्तान तक पहुंच गया था। हालांकि, वह अपने इस मंसूबे में सफल नहीं हो सका। वर्ष 2010 में उसे वियतनाम से गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया। जेल में रहते हुए पीपी ने आध्यात्मिक जीवन की ओर रुख किया और नेपाल के आचार्य दंडीनाथ से दीक्षा प्राप्त की।
अब जूना अखाड़ा के थानापति उसे आधिकारिक रूप से दीक्षा देकर एक धार्मिक जीवन का हिस्सा बना रहे हैं।
Author: samachar
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