अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने वाली राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा को झटका देने का फैसला कर लिया है। रालोद के प्रमुख जयंत चौधरी ने इसके लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है। रालोद ने 23 स्टार प्रचारकों की सूची जारी करते हुए ऐलान किया है कि वह जम्मू-कश्मीर में 15-20 विधानसभा सीटों पर अलग चुनाव लड़ेगी। यह घोषणा जम्मू-कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनाव को और दिलचस्प बनाने की ओर इशारा कर रही है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन
जयंत चौधरी, जो वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं, ने लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा था। इस गठबंधन के तहत उन्हें केंद्र की एनडीए सरकार में मंत्री पद भी मिला था। लेकिन अब रालोद ने भाजपा से अलग होकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी ने 23 स्टार प्रचारकों की सूची जारी करते हुए इस बात की पुष्टि की। इस सूची में पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी, उत्तर प्रदेश से रालोद के दोनों सांसद – चंदन चौहान और राजकुमार सांगवान, और छपरौली सीट से विधायक को शामिल किया गया है।
जम्मू-कश्मीर में अलग चुनाव लड़ने की घोषणा
जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनावों में रालोद की रणनीति उन क्षेत्रों पर केंद्रित है, जहां ओबीसी और पिछड़े वर्ग के मतदाता अधिक संख्या में हैं। इसके साथ ही पार्टी मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लगाने की तैयारी कर रही है। रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी ने स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर में उनकी पार्टी का भाजपा या किसी अन्य दल के साथ कोई गठबंधन नहीं है। रालोद अकेले ही इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने जा रही है। इस घोषणा के बाद जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव और अधिक दिलचस्प हो गए हैं।
भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर
जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा सीटों पर तीन चरणों में चुनाव होंगे। पहले चरण में 24 सीटों पर 18 सितंबर को मतदान होगा, दूसरे चरण की 26 सीटों पर 25 सितंबर को वोटिंग होगी, जबकि तीसरे और अंतिम चरण में 40 सीटों पर मतदान 1 अक्टूबर को होगा। परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। इस चुनाव में कांग्रेस, उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है, जबकि भाजपा भी अपनी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी। मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। इसके अलावा महबूबा मुफ्ती की पीडीपी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी चुनाव लड़ने की घोषणा की है। अब रालोद की एंट्री के बाद चुनाव और भी तीखे होने की संभावना है।
दस साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था। उस समय भाजपा और पीडीपी ने मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी। हालांकि, 2018 में यह गठबंधन टूट गया और सरकार गिर गई। इसके बाद राज्यपाल शासन और फिर राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत से केंद्र में सरकार बनाई और 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया। अब, दस साल बाद, यहां फिर से विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जिसमें बहुमत प्राप्त करने के लिए 46 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी।
सपा ने भी की 37 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा
देश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों में से एक समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी जम्मू-कश्मीर में 37 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। सपा के प्रदेश अध्यक्ष जियालाल वर्मा के अनुसार, पार्टी ने बड़गाम, श्रीनगर, बारामूला, चिरार ए शरीफ, उड़ी, खान साहब, वीरवा, राफियाबाद, चडूरा, पट्टन, हवा कदल, गुलमर्ग, गुरेश, हंदवाड़ा, लंगेट, गांदेरबल, खनिहार, जाडीवल, शोपर, लोलाब, हजरतबल, और ईदगाह सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई है।
जम्मू-कश्मीर का आगामी विधानसभा चुनाव, जिसमें भाजपा, कांग्रेस, पीडीपी, सपा और अब रालोद जैसी प्रमुख पार्टियां हिस्सा लेंगी, निश्चित रूप से दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण होने वाला है। रालोद की एंट्री और भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने का निर्णय इसे और भी रोमांचक बना रहा है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."