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November 1, 2024 8:02 pm

कर्ज कि वजह से उजड़े परिवार की दर्दनाक कहानी आंखें नम कर देगी

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के सर्राफा कारोबारी सौरभ बब्बर एक खुशहाल और धार्मिक जीवन जी रहे थे। उनके पास एक सुंदर पत्नी, दो प्यारे बच्चे और अच्छा-खासा ज्वेलरी का कारोबार था। सौरभ का स्वभाव धार्मिक था, और वे ‘श्री साईं परिवार समिति’ नामक एक सामाजिक संस्था भी चलाते थे। इस संस्था के माध्यम से सौरभ गरीब लड़कियों की शादी, अनाथ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, और बुजुर्गों और बीमारों के लिए मुफ्त दवाइयों की व्यवस्था करते थे। हर मंगलवार को वे अपने परिवार के साथ मिलकर भंडारे का आयोजन भी करते थे।

सौरभ के जीवन में सब कुछ ठीक लग रहा था, लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने अपनी पत्नी मोना के साथ मिलकर आत्महत्या करने का कठोर निर्णय लिया। 10 अगस्त को सौरभ और मोना बाइक से हरिद्वार पहुंचे। वहां उन्होंने अपनी एक सेल्फी ली और एक सुसाइड नोट छोड़कर गंगा नदी में छलांग लगा दी। 

सौरभ की लाश तो बरामद हो गई, लेकिन मोना की अब तक कोई खबर नहीं मिली है। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि वे कर्ज के बोझ से परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने अपने बच्चों की जिम्मेदारी उनके नाना-नानी को सौंपी और अपनी संपत्ति भी उनके नाम लिख दी।

सौरभ और मोना की आत्महत्या के पीछे 7 करोड़ रुपये के सोने की एक दर्दनाक कहानी है। 

सौरभ सहारनपुर में ‘गोल्ड किटी सेविंग’ नामक एक कमेटी चलाते थे, जिसके जरिए लोग हर महीने पैसे निवेश करते थे और बदले में ज्वेलरी के रूप में सोना प्राप्त करते थे। सौरभ ने अपने इस कारोबार के लिए सहारनपुर के ही एक अन्य कारोबारी से 7 करोड़ रुपये का सोना बुक किया था, जो 10 अगस्त को वितरित किया जाना था। लेकिन कुछ दिन पहले ही उस कारोबारी का बेटा 7 करोड़ रुपये लेकर दुबई भाग गया। सौरभ ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह असफल रहे। 

सौरभ के ऊपर पहले से ही 3 करोड़ रुपये का कर्ज था, और इस घटना के बाद उनके ऊपर और भी अधिक दबाव बढ़ गया।

आखिरकार, सौरभ और उनकी पत्नी मोना ने अपनी जान देने का फैसला किया। 10 अगस्त को सौरभ अपने माता-पिता से मिले और उन्हें विश्वास दिलाया कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। फिर उन्होंने अपने नौकर को दुकान की चाबी सौंपी और कहा कि अगले दिन दुकान खोल लेना। इसके बाद, सौरभ ने अपने बच्चों को ससुराल में उनके नाना-नानी के पास छोड़ दिया और अपनी पत्नी मोना के साथ हरिद्वार चले गए। वहां, दोनों ने हाथ पकड़कर गंगा नदी में छलांग लगा दी। सौरभ की लाश तो गंगा नदी से बरामद हो गई, लेकिन मोना की अभी तक कोई खबर नहीं है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."