ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
16 साल पहले मेरठ में एक युवती के प्रेम में तीन नौजवानों की हत्या का मामला पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया था।
इस जघन्य हत्या के मामले में 33 गवाहों की गवाही के बाद, आज कोर्ट ने दोषी ठहराए गए 10 आरोपियों को आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।
मेरठ अपर जिला जज स्पेशल कोर्ट एंटीकरप्शन सेकंड, पवन शुक्ला ने 2008 में तीन युवाओं की हत्या के मामले में निर्णय सुनाया। आरोपी मीट कारोबारी इजलाल कुरैशी और उसकी प्रेमिका शीबा सिरोही सहित कुल 10 लोगों को सजा मिली है।
इजलाल ने अपने भाई और साथियों के साथ मिलकर 23 मई 2008 को मेरठ कॉलेज के तीन छात्रों—सुनील ढाका, पुनीत गिरि, और सुधीर उज्जवल—को मौत के घाट उतार दिया।
हत्यारे ने पहले युवाओं को गोलियों से भूनने के बाद उनका गला धारदार हथियार से रेता और अंत में उनकी आंखें नुकीली वस्तु से निकाल दीं। शवों को पानी से धोकर डिग्गी में छिपा दिया और बागपत जिले की बालौनी नदी के किनारे फेंक दिया। शवों को देखकर स्थानीय लोगों के होश उड़ गए और पुलिस को सूचित किया गया।
इस मामले की जांच में पता चला कि 22 मई 2008 की रात, सुनील, पुनीत और सुधीर का शीबा को लेकर इजलाल से विवाद हुआ था। शीबा ने इजलाल को उकसाया, जिसके बाद इजलाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस भयानक हत्याकांड को अंजाम दिया।
इस मामले में पुलिस ने 14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। हालांकि, ट्रायल के दौरान दो आरोपियों की मौत हो चुकी है और एक आरोपी नाबालिग था, जिसका मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। आज कोर्ट ने 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी और 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया। अदालत परिसर को सुरक्षा के लिहाज से छावनी में तब्दील कर दिया गया था।
इजलाल की दोस्ती शीबा सिरोही से थी, जो मेरठ कॉलेज में पढ़ती थी। शीबा के परिवार ने उसकी शादी एक सेना अधिकारी से कर दी थी, लेकिन यह विवाह ज्यादा दिन नहीं टिक सका। शीबा की लालसा उसे इजलाल की ओर खींच लाई, जो एक प्रभावशाली मीट कारोबारी था। शीबा ने अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए सुनील, पुनीत और सुधीर को इजलाल से छुपाया, जिससे इजलाल ने गुस्से में आकर इस वीभत्स हत्या को अंजाम दिया।
इस प्रकार, एक युवती के मोहपाश में तीन घरों के चिराग बुझ गए और समाज को एक जघन्य अपराध का सामना करना पड़ा।
Author: samachar
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