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November 22, 2024 2:14 pm

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प्रशंसनीय : पूजा शर्मा का अब तक 6 हजार लावारिस शवों के प्रति समर्पण और बागपत डीएम की मदद 

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

दिल्ली के नंदनगरी की निवासी पूजा शर्मा ने एक अनोखी पहल की है, जो उन्हें लावारिस शवों के लिए एक ‘बारिश’ के रूप में पहचान दिला चुकी है। 

पूजा शर्मा ने अब तक करीब 6,000 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है। इन शवों को वह किराए के वाहन से लेकर जाती हैं और उनका अंतिम संस्कार कर, अस्थियों को हरिद्वार की गंगाजी में प्रवाहित करती हैं। 

उनके इस समर्पण और कार्य की सराहना करते हुए बागपत के डीएम ने उन्हें 8 लाख रुपये की एक एंबुलेंस प्रदान की है।

पूजा शर्मा की इस प्रेरणादायक यात्रा की शुरुआत व्यक्तिगत त्रासदी से हुई। 2019 में उनकी मां की दिमाग की नस फटने से मौत हो गई। 

इसके बाद 13 मार्च 2022 को, नंदनगरी में एक झगड़े के दौरान उनके भाई को गोली लग गई, और इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई। 

भाई की मौत का सदमा उनके पिता सहन नहीं कर सके और वे कोमा में चले गए। पूजा ने खुद अपने भाई के शव का अंतिम संस्कार किया और शिवलिंग पर माथा रखकर रोई। 

इस दुखद समय में उन्हें एक विचार आया कि जिनके परिवार में कोई नहीं होता, उनका अंतिम संस्कार कौन करता है। यही सोचकर पूजा ने ठान लिया कि वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करेंगी।

पूजा शर्मा ने ढाई साल में करीब 6,000 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है और उनकी अस्थियों को हरिद्वार में गंगाजल में प्रवाहित कर दिया है। हालांकि, इस काम को करते हुए उन्होंने किसी भी प्रकार की सरकारी या सामाजिक सहायता प्राप्त नहीं की थी।

हाल ही में बागपत के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने पूजा शर्मा के कार्य की जानकारी ली और उनकी मदद के लिए आगे आए। 

डीएम ने पूजा को बागपत कलेक्ट्रेट बुलाया और उन्हें 8 लाख रुपये की एंबुलेंस की चाबी और आरसी सौंपते हुए कहा कि वे समाज और राष्ट्र हित में अपने प्रयास जारी रखें। 

पूजा शर्मा की आँखों में आंसू थे जब उन्होंने यह सहायता प्राप्त की और उन्होंने कहा कि किसी भी डीएम ने उनकी इतनी मदद नहीं की है। उन्हें डीएम पर गर्व है।

पूजा शर्मा की मार्मिक कहानी ने बागपत के डीएम का दिल छू लिया। उन्होंने अंग्रेजी के एक लेख में पूजा के बारे में पढ़ा था, जिसमें बताया गया था कि कैसे पूजा ने अपने परिवार के दुखों को पार करके दूसरों के लिए समर्पित हो गई। 

किराए की गाड़ी से लावारिस शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाना और इसका खर्चा उठाना, यह सब देखकर डीएम ने फैसला किया कि पूजा की मदद की जानी चाहिए। इसी प्रकार, डीएम ने जनसहयोग से 8 लाख की एंबुलेंस की व्यवस्था कराई और पूजा को सौंप दी।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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