ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
गाजियाबाद में रहने वाले हरीश नामक एक युवक की दर्दनाक कहानी है, जिसने पिछले 11 सालों से अपने बिस्तर पर पड़ा हुआ है। उनकी मां निर्मला ने देश की सबसे बड़ी अदालत, सुप्रीम कोर्ट, में मौत की मांग की है, क्योंकि हरीश न तो उठ सकता है, न चल सकता है, न हंस सकता है, न रो सकता है, न बोल सकता है, न खुद से खा सकता है, न पी सकता है। उनकी जिंदगी में बस एक हल्की धड़कन है, लेकिन जिंदगी की कोई अन्य निशानी नहीं बची है।
हरीश की मां निर्मला का कहना है कि उनके बेटे की तकलीफ और दर्द को अब वे नहीं देख सकतीं। उनके शरीर में इतनी तकलीफ है कि वह अब नहीं देख पातीं। हरीश ने एक समय में इंजीनियर बनने का सपना देखा था, लेकिन उसकी जिंदगी की यह घटना उसके सपनों को अधूरा छोड़ दिया। उसके परिवार ने इसके लिए लड़ा, लेकिन कोई भी सुधार नहीं हो पाया।
इस मामले में मोहाली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, और हरीश के परिवार ने बयान देते हुए कहा कि उनके बेटे को कुछ लड़कों ने बालकनी से गिराया था। उनके पिता ने भी आरोप लगाया कि उसके साथ मारपीट हुई थी। वे सुप्रीम कोर्ट में यह मांग करेंगे कि हरीश को उसकी स्थिति के आधार पर राइट टू डाई विद डिग्निटी के साथ मुक्ति मिलनी चाहिए।
Author: samachar
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