दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश बीजेपी में अंदरूनी कलह की खबरें तेज हो रही हैं, और इसके समाधान के लिए लखनऊ से दिल्ली तक बैठकों का दौर चल रहा है। 14 जुलाई को यूपी कार्यकारिणी की बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सभी नेताओं की बातें सुनीं।
फिर 16 जुलाई को दिल्ली में केशव मौर्य और यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने जेपी नड्डा से मुलाकात की। पिछले 48 घंटों में लखनऊ की यह लड़ाई दिल्ली तक पहुंच गई, और 17 जुलाई को यह सियासी तनाव प्रधानमंत्री आवास तक जा पहुंचा। सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सियासी खींचतान का रास्ता निकालेंगे?
2022 के विधानसभा चुनाव और पीएम मोदी की भूमिका
सबसे पहले 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो तब चुनाव की तारीखें घोषित नहीं हुई थीं। 21 नवंबर 2021 को लखनऊ में प्रधानमंत्री मोदी का हाथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कंधे पर था, जिसने उन सभी अटकलों और कहानियों का अंत कर दिया था जो लखनऊ और दिल्ली के बीच दरार की बात कर रही थीं।
पीएम मोदी ने तब कहा था कि “यूपी+योगी=बहुत उपयोगी।” यह बयान विरोधियों को स्पष्ट संदेश था कि मोदी और योगी एकजुट हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव और योगी की सख्त प्रशासक की छवि
2022 में ऐतिहासिक जीत के बाद, योगी आदित्यनाथ ने सख्त प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनाई। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष ने योगी आदित्यनाथ को हटाने की बातें की, लेकिन पीएम मोदी ने योगी के काम की सराहना की और कहा कि “योगीजी की सरकार ने विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।” इस प्रकार, मोदी ने योगी के प्रति अपने समर्थन को जताया।
14 जुलाई के बाद से बढ़ती अंदरूनी कलह
14 जुलाई के बाद से यूपी में बीजेपी के भीतर खींचतान नजर आ रही है। अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी में कठपुतली का खेल चल रहा है और सबकी डोरी अलग-अलग हाथों में है।
सियासी घटनाक्रम का संक्षेप
14 जुलाई को लखनऊ में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक से नई कहानी शुरू हुई। 16 जुलाई को केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र चौधरी ने जेपी नड्डा से मुलाकात की। 17 जुलाई को यह मामला प्रधानमंत्री आवास तक पहुंच गया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी और अन्य नेता चुप्पी साधे रहे।
दिल्ली-लखनऊ दौड़भाग का नतीजा
इन मुलाकातों के बाद तीन बातें सामने आईं:
- 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव तक सबको शांत रहना है।
- उपचुनाव के बाद यूपी प्रदेश संगठन में बदलाव संभव है।
- उपचुनाव के बाद योगी मंत्रिमंडल में भी बदलाव हो सकता है।
केशव प्रसाद मौर्य का दांव
केशव प्रसाद मौर्य 2017 में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन वे उपमुख्यमंत्री बने। 2022 में सीट हारने के बाद भी उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया। अब वे संगठन को सरकार से बड़ा बता रहे हैं, जबकि दिल्ली से लौटने के बाद वे मजबूत संगठन और सरकार की बात कर रहे हैं।
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश बीजेपी की अंदरूनी कलह और दिल्ली-लखनऊ की दौड़भाग के बीच, सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी इस सियासी खींचतान का रास्ता निकाल पाएंगे?
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."