अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
पूजा खेडकर, जिन्होंने 2022 में यूपीएससी की परीक्षा दी थी और 2023 में 841वीं रैंक प्राप्त करके आईएएस अधिकारी बनीं, विवादों में घिर गई हैं।
महाराष्ट्र के पुणे में अपना प्रोबेशनरी पीरियड पूरा करने के बाद, उन्हें वाशिम जिले में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया। लेकिन पूजा खेडकर की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। उनके खिलाफ कई आरोप और विवाद खड़े हो गए हैं।
आरोप है कि पुणे में अपने कार्यकाल के दौरान पूजा खेडकर ने कई अधिकारियों को परेशान किया और विभिन्न प्रकार की डिमांड्स कीं। इसके अलावा, उन्होंने अपनी प्राइवेट ऑडी कार पर लाल बत्ती का भी इस्तेमाल किया, जो नियमों का उल्लंघन है।
मीडिया में उनके अधिकारियों के साथ व्हाट्सएप चैट भी सामने आई, जिससे ये विवाद और बढ़ गए।
विवादों के बीच पूजा खेडकर के बारे में और भी चौंकाने वाली बातें सामने आईं। यूपीएससी की परीक्षा के दौरान पूजा ने तीन एफिडेविट जमा किए थे। एक में उन्होंने खुद को मानसिक रूप से अक्षम बताया, दूसरे में देखने में समस्या का उल्लेख किया और तीसरे में ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर कैटेगरी का जिक्र किया।
अब यह खुलासा हुआ है कि अपनी जॉइनिंग के दौरान पूजा ने यूपीएससी द्वारा कराए जाने वाले मेडिकल टेस्ट को नजरअंदाज किया। उन्हें 6 बार मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया, लेकिन केवल आखिरी टेस्ट में ही उन्होंने भाग लिया और उसमें भी एमआईआर (मेडिकल इम्पीरियल रिव्यू) कराने से मना कर दिया।
इन सभी खुलासों के बाद, पूजा खेडकर द्वारा यूपीएससी को दिए गए मेडिकल एफिडेविट्स पर सवाल उठने लगे हैं। इन विवादों ने उनकी ईमानदारी और पारदर्शिता पर गंभीर संदेह खड़े कर दिए हैं।
आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की नौकरी को लेकर गंभीर विवाद खड़े हो गए हैं। दूसरा बड़ा विवाद उनके ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर कैटेगरी के एफिडेविट को लेकर है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पूजा खेडकर के पिता के पास 40 करोड़ की संपत्ति है, जबकि पूजा के पास भी लगभग 22 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। इन दस्तावेजों पर विवाद उठने के बाद केंद्र सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं।
अब एडिशनल सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी पूजा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करेंगे। इस स्थिति में यह सवाल उठता है कि क्या पूजा खेडकर की नौकरी रहेगी या उन्हें बर्खास्त किया जाएगा?
यदि पूजा खेडकर विभागीय जांच में दोषी पाई जाती हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। विभागीय जांच के आधार पर उनके खिलाफ एक चार्जशीट बनाई जा सकती है, जो चीफ सेक्रेटरी को सौंपी जाएगी। इसके बाद कानूनी कार्रवाई की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
भारतीय न्याय संहिता के अनुसार, उनके खिलाफ धारा 318(4), धारा 336(3), और धारा 340(2) के तहत एफआईआर दर्ज हो सकती है। ये धाराएं धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से जालसाजी, और जाली दस्तावेजों का वास्तविक उपयोग करने से संबंधित हैं।
इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर, आरोपी को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। एडवोकेट शिवाजी शुक्ला के अनुसार, ऐसी स्थिति में यूपीएससी पूजा खेडकर को पद से बर्खास्त करने की कार्रवाई कर सकता है। चूंकि आईएएस अधिकारी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है, इसलिए बर्खास्तगी के लिए भी राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक होगी।
इस प्रक्रिया में फाइल को राष्ट्रपति भवन भेजा जाएगा। बर्खास्तगी की कार्रवाई के दौरान दोषी अधिकारी से वह सभी लाभ और सैलरी वापस ली जा सकती है, जो उन्होंने पद पर रहते हुए प्राप्त की हैं।
इस प्रकार, यदि पूजा खेडकर दोषी पाई जाती हैं, तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है और उन्हें कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."