नौशाद अली की रिपोर्ट
बलरामपुर। उत्तर प्रदेश में बाढ़ का पानी तराई के कई जिलों में आगे बढ़ रहा है।
श्रावस्ती, बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर, बाराबंकी, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बदायूं, बरेली के 600 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं। इन जिलों के अनेक शहरों में बाढ़ का पानी घुस गया है और यहां की स्थिति बहुत ही खराब है।
शाहजहांपुर में बाढ़ की स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। गर्रा नदी का पानी शहर में घुस गया है, जिसके कारण वाहनों का संचालन बंद हो गया है।
रेलवे ट्रैक पर भी पानी भर गया है, जिससे ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ है। इसके अलावा, शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में पानी भरने के कारण मरीजों को अन्य जगह शिफ्ट किया गया है। अभी भी बचाव कार्य में जुटी टीमें काम कर रही हैं।
इस बाढ़ के कारण धान की फसलों में भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। नेपाल के कुसुम बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण स्थिति और भी खराब हो गई थी, लेकिन अब जल स्तर में कुछ कमी आई है। अयोध्या में सरयू नदी भी बह रही है, जिससे वहां की स्थिति भी गंभीर है।
बाढ़ से प्रभावित लोगों को सरकारी सहायता का इंतजार है, और स्थानीय अधिकारियों ने बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। इस दुर्घटना के बारे में सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं ताकि बाढ़ से होने वाली नुकसान को कम किया जा सके।
अंबेडकरनगर में शुक्रवार को सरयू की बाढ़ में कम्हरिया घाट स्थित धर्मशाला की सीढ़ियां जलमग्न हो गईं हैं। माझा-कम्हरिया में तेजी से हो रहे कटान में 15 बीघा खेत नदी में समा गया। सरयू के जल स्तर में बृहस्पतिवार की तुलना में शुक्रवार को मामूली कमी जरूर हुई, लेकिन माझा क्षेत्र के ग्रामीणों की मुश्किलें कम नहीं हुईं। माझा क्षेत्र के हंसू का पूरा, करिया लोनिया का पूरा व सिद्धनाथ के निकट तक बाढ़ का पानी बना हुआ है।
बहराइच में सरयू का जलस्तर घटा है, लेकिन एल्गिन ब्रिज पर नदी अब भी खतरे के निशान से पांच सेंटीमीटर ऊपर ही बह रही है। अलबत्ता बाढ़ से परेशान स्थानीय लोगों को कुछ राहत जरूर मिली। सरयू का जल स्तर कम होने से गांवों से पानी तो निकल गया, लेकिन धान की फसल नष्ट हो गई है। जिलाधिकारी मोनिका रानी बताया कि सरयू का जलस्तर घटने लगा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में प्रशासन की टीमें लगातार सक्रिय हैं। प्रभावित इलाकों के लोगों की जरूरत के मुताबिक मदद की जा रही है। वहीं, श्रावस्ती में राप्ती फिर लाल निशान के पार पहुंच गई है। इससे कछारवासी दहशत में हैं। कटान भी तेज हुई है।
नेपाल के कुसुम बैराज से 47,682 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जमुनहा बैराज पर नदी का जलस्तर 127.35 से बढ़ कर 127.90 मीटर पहुंच गया जो खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर अधिक है। इससे जमुनहा के ककरदरी गांव की तरफ नदी ने तेजी से कटान शुरू कर दी है। अयोध्या में सरयू का जल स्तर 22 सेमी घटा है। इसके बाद भी नदी लाल निशान से 10 सेमी ऊपर बह रही है। इससे सदर तहसील के 10 से अधिक गांव कटान की जद में आ गए हैं। बाढ़ प्रभावित गांवों में संक्रामक बीमारियां भी फैलने लगी हैं। पिपरी संग्राम गांव जाने वाले मार्ग पर पानी भरा हुआ है। लोग जान जोखिम में डालकर सोहवल से गोंडा तक आवागमन कर रहे हैं। इस सब के बीच जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद ने बाढ़ राहत केंद्र राजा दशरथ समाधि स्थल पूरा बाजार पहुंचकर निरीक्षण किया। बाढ़ पीड़ितों को दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी ली।
सीतापुर के रतनगंज में कटान पीड़ितों ने शुक्रवार को प्रदर्शन शुरू कर दिया। तंबौर-काशीपुर मार्ग जाम कर किया। मामला बढ़ता देख तहसीलदार व पुलिस मौके पर पहुंची। बाढ़ प्रभावितों ने आवास दिलाने संग अन्य मदद की मांग रखी। अफसर काफी देर तक मान-मनौवल करते रहे। करीब दो घंटे बाद तहसीलदार ने मदद का आश्वासन देकर सभी को शांत कराया। इस बीच मार्ग पर लंबा जाम लग गया। यहां नदी की कटान में 34 घर बह चुके हैं।
अंबेडकरनगर माझा कम्हरिया में कटान, नदी में समाया 15 बीघा खेत
सरयू नदी की बाढ़ में कम्हरिया घाट स्थित धर्मशाला की पांच सीढ़ियां जलमग्न हो गईं। इसके साथ ही माझा कम्हरिया में तेजी से हो रहे कटान में लगभग 15 बीघा खेत नदी में समा गया। इस बीच बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माझा कम्हरिया व अराजी देवारा के दर्शननगर चौक में स्वास्थ्य शिविर को सक्रिय कर दिया गया है। सरयू नदी के जलस्तर में शुक्रवार को मामूली कमीं जरूर हुई लेकिन इसके बाद भी माझा क्षेत्र के ग्रामीणों की मुश्किलें कम नहीं हुईं। सरयू नदी के कम्हरिया घाट स्थित धर्मशाला की पांच सीढ़ियां शुक्रवार सुबह पूरी तरह से डूब गईं। माना जा रहा है कि यदि जलस्तर में वृद्धि होती है तो पानी धर्मशाला के अंदर प्रवेश कर जाएगा। विगत वर्ष भी सरयू नदी में आई बाढ़ से धर्मशाला के अंदर पानी पहुंच गया था।
इसके साथ ही माझा कम्हरिया में कटान शुरू हो गया। शुक्रवार सुबह तक आठ किसानों का लगभग 15 बीघा खेत नदी में समा गया। इससे प्रभावित किसान माझा कम्हरिया के पतिराम यादव, जंगबहादुर निषाद, लल्लन, लालचंद्र, राजमणि, मन्नू, परमात्मा व राघवेंद्र को बड़ी आर्थिक चपत लगी। माझा क्षेत्र के किसानों का मानना है कि यदि इसी प्रकार से कटान का दौर जारी रहा तो किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है।
उधर माझा कम्हरिया व अराजी देवारा में भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। अराजी देवारा संपर्क मार्ग पर शुक्रवार को भी नाव का संचालन जारी रहा। इसके अलावा माझा क्षेत्र के हंसू का पूरा, करिया लोनिया का पूरा व सिद्धनाथ के निकट तक बाढ़ का पानी बना हुआ है। इससे संबंधित क्षेत्र के ग्रामीणों में अभी भी चिंता व्याप्त है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."