संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट. परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था के सुधार व विद्यालयों को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपए धनराशि दी जा रही है जिसमें से विद्यालयों को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाने के लिए कायाकल्प योजना की शुरुआत की गई है जिसके तहत विद्यालयों के कायाकल्प कराया जा रहा है लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते आज भी कई विद्यालय ऐसे देखने को मिल रहे हैं जिनकी छतें व दीवारें जर्जर हो गई हैं व फर्श टूटी फूटी हैं इसके बावजूद नौनिहाल बच्चे इन जर्जर विद्यालयों में अध्ययन कर रहे हैं वहीं शिक्षक भी मौत के साए में इन बच्चों को पढ़ाते हुए नज़र आते हैं इन शिक्षकों द्वारा विद्यालयों के कायाकल्प के लिए कई बार ज़िम्मेदार अधिकारियों को अवगत कराया गया व लिखित शिकायती पत्र भी दिया गया लेकिन यह शिकायतें ठंडे बस्ते में पड़ी हुई नज़र आई जिसके कारण शिक्षकों व नौनिहाल बच्चों का जीवन मौत के साए में गुजरता हुआ नज़र आता है।
जिले में पहाड़ी ब्लाक के उच्च प्राथमिक दरसेंडा व उच्च प्राथमिक विद्यालय खैरी सकरौली की इमारतें पूरी तरह से बदहाली का शिकार हो चुकी हैं इस विद्यालय के कमरों की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. छत कब गिर जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है l
स्कूल का जर्जर भवन हादसे को न्योता दे रहा है टूटी-फूटी छत के नीचे मासूम बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं वहीं ज़िम्मेदार अधिकारी आंखें बन्द किए है विद्यालयों के कमरों की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. छत कब गिर जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है. लेकिन, छत के नीचे बैठकर सैकड़ों की संख्या में मासूम पढ़ाई कर रहे हैं मासूमों की जिंदगी पर मौत का संकट मंडरा रहा है लेकिन, बेसिक शिक्षा विभाग के ज़िम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है इन सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के नाम पर मासूमों को मौत के मुंह में धकेलने का काम चल रहा है, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग नींद के आगोश में समाया हुआ है l
इन विद्यालयों के छात्रों से जब जर्जर छत के नीचे बैठकर पढ़ने के बारे में पूछा गया तो बच्चों ने सहम कर जबाब दिया डर तो बहुत लगता है लेकिन, क्या करें बहुत सारे बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं सब इसी बिल्डिंग और छत के नीचे पढ़ते हैं उधर, विद्यालयों के शिक्षकों का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग के ज़िम्मेदार अधिकारियों को कई बार जर्जर बिल्डिंग के बारे में अवगत कराया गया लेकिन, आज तक विभाग ने सुध नहीं ली, जिससे आज भी मासूम बच्चे जर्जर अवस्था में बनी बिल्डिंग में पढ़ने को मजबूर हैं l
ज़िम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी से हो सकता है बड़ा हादसा
इन परिषदीय विद्यालयों की जर्जर इमारत होने की वजह से कभी भी हादसा हो सकता है, जिसका खामियाजा जर्जर इमारत की छत के नीचे पढ़ रहे मासूम छात्रों को भुगतना पड़ सकता है लेकिन, बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है इसी वजह से जर्जर छत के नीचे मासूम छात्रों के जीवन में मौत का साया लगातार मंडरा रहा है l
विद्यालय के सामने सड़क…पीछे रेलवे लाइन…कभी भी अनहोनी घटना के शिकार हो सकते हैं मासूम…
सदर ब्लाक कर्वी के उच्च प्राथमिक विद्यालय रेहुंटिया क्षेत्र व जनपद चित्रकूट के सामने मानिकपुर खोह सड़क मार्ग है जिससे वाहनों का आवागमन बड़ी संख्या में होता है वहीं से इन नौनिहाल बच्चों को विद्यालय आना जाना पड़ता है जिसके कारण अक्सर यह डर लगा रहता है कि कहीं कोई नौनिहाल बच्चा किसी अनहोनी घटना का शिकार न हो जाए वहीं विद्यालय भवन के पीछे रेलवे लाइन है जहां से रेलगाड़ियों का आना जाना लगा रहता है इस रेलवे लाइन से भी बच्चों को बहुत बडा खतरा है इस विद्यालय में बाउंड्री वॉल नहीं है जिसके कारण और भी ज्यादा डर सता रहा है l
कायाकल्प योजना के तहत विद्यालयों के कायाकल्प में हुआ बड़ा खेल… निर्माण कार्य हो रहे फेल…
जिले के परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प योजना के तहत कराए गए विकास कार्यों में करोड़ों रुपए का बंदरबाट हो गया जिसमें विद्यालयों के मरम्मती करण, टाइल्स निर्माण कार्य, छत मरम्मत कार्य,शौचालय निर्माण कार्य, रैन वाटर हार्वेस्टिंग कार्य, बाउंड्री वॉल, इंटरलाकिंग खड़ंजा निर्माण कार्य, रंगाई पुताई व पुट्टी के नाम पर बडा खेल किया गया है इन परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को थी जिसमें ग्राम प्रधान व सचिव ने ठेकेदारों को कार्य सौंपा जिसमें ठेकेदारों द्वारा कायाकल्प योजना से कराए गए कार्यों में जमकर धांधली की गई और मानक विहीन कार्य कराकर सरकारी धन को ठिकाने लगाने का काम किया विद्यालयों में कराए गए ज्यादातर विकास कार्य समयावधि से पहले ही ध्वस्त होने लगे हैं लेकिन जिम्मेदारों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है l
परिषदीय विद्यालयों में कायाकल्प योजना से कराए गए कार्यों की हो जाए जांच… तो बहुत बड़े भ्रष्टाचार का हो जायेगा खुलासा…
जिले के परिषदीय विद्यालयों में कायाकल्प योजना के तहत कराए गए विकास कार्यों की जॉच अगर ज़िला प्रशासन उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर कराए तो विद्यालयों में विकास कार्यों के नाम पर हुए सरकारी धन के बंदरबाट का बहुत बड़ा खुलासा हो सकता है जांच में विद्यालयों के कायाकल्प में ग्राम प्रधान व सचिव की मिलीभगत से ठेकेदारों द्वारा किस तरह सरकारी धन को ठिकाने लगाया सबकुछ खुलकर सामने आ जायेगा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."